सोमवार, 29 दिसंबर 2025

सुल्तानपुर : प्रख्यात साहित्यकार डॉ० जयसिंह व्यथित जी की मनाई गई छठीं पुण्यतिथि।||Sultanpur:The sixth death anniversary of renowned litterateur Dr. Jaisingh Vyathit was observed.||

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सुल्तानपुर : 
प्रख्यात साहित्यकार डॉ० जयसिंह व्यथित जी की मनाई गई छठीं पुण्यतिथि।
दो टूक : सुलतानपुर: साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्था "प्रतिमान"के तत्वावधान में आज 27-12-2025 को अपराह्न 4 बजे अवधी, खड़ी बोली और गुजराती के प्रख्यात साहित्यकार डॉ जयसिंह "व्यथित"जी की छठीं पुण्य तिथि डॉ ओंकार नाथ द्विवेदी के आवास पटेल नगर, सुल्तानपुर में मनायी गई। मुख्य अतिथि थे श्री जयंत त्रिपाठी जी और सभा की अध्यक्षता किया डॉ नरेन्द्र उपाध्याय जी ने। सबसे पहले श्री पीयूष श्रीवास्तव जी ने व्यथित जी को याद करते हुए उनके व्यक्तित्व की सरलता और उदारता को संस्मरणों के माध्यम से व्यक्त किया। डॉ ओंकार नाथ द्विवेदी ने व्यथित जी के व्यापक रचना संसार पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनकी कृतियों में मनुष्यता के चतुर्दिक विकास और उन्नयन का सराहनीय उपक्रम किया गया है। विनोबा भावे, महात्मा गांधी,विरसा मुंडा जैसे महापुरुषों पर उन्होंने सार्थक तथा सामयिक लेखन किया। गीता का सरल सहज भाषा में अनुवाद प्रस्तुत किया। कैकेई के राम नामक कृति में उनकी मौलिक उद्भावनाएं उल्लेखनीय हैं। अवधी साहित्य में उनका योगदान अविस्मरणीय है, विश्व अवधी सम्मेलन का आयोजन व्यथित जी ने 2003में सुल्तानपुर के रामनरेश त्रिपाठी सभागार में किया था जो अनेक दृष्टियों से मील का पत्थर साबित हुआ। उन्हें उ.प्.हिन्दी संस्थान लखनऊ गुजरात हिन्दी अकादमी अहमदाबाद और विभिन्न प्रदेशों से अनेक बार सम्मानित एवं पुरस्कृत किया जा चुका था।व्वथित शान्ति साधना केंद्र विक्रम पुर,चौकिया सुल्तानपुर उनकी जन्मभूमि ही नहीं बल्कि साहित्य तीर्थ के रूप में प्रतिष्ठित थी,आज उनके न रहने से वह उपेक्षित पड़ी है। सरकार और स्वयंसेवी संस्थाओं का ध्यान अपेक्षित है। मुख्य अतिथि के रूप बोलते हुए श्री जयंत त्रिपाठी जी ने व्यथित जी के अनेक संस्मरण सुनाए जिसमें उनकी सादगी तथा परदुखकातरता पर प्रकाश डाला गया। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ नरेन्द्र उपाध्याय जी ने उनकी अवधी कृति बड़की माई का उल्लेख करते हुए व्यथित जी की लोक भाषा और ग्रामीण रीति रिवाजों पर मजबूत पकड़ तथा उनकी संवेदनशीलता पर प्रकाश डाला। उपस्थित महानुभावों में  डॉ अंजू सिंह, डॉ सुषमा पाण्डेय, डॉ सुरेश चन्द्र पाण्डेय, सक्षम द्विवेदी आदि प्रमुख थे।