मंगलवार, 9 दिसंबर 2025

लखनऊ : विद्यार्थियों की कैरियर काउंसिलिंग ।||Lucknow: Career counseling for students.||

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लखनऊ : 
विद्यार्थियों की कैरियर काउंसिलिंग ।
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।।डॉ० उदयराज मिश्र।।
दो टूक : मनोवैज्ञानिकों के अनुसार रुचि अवधान की जननी होती है,किंतु विद्यार्थियों की वैयक्तिक विभिन्नताओं के कारण उनकी रूचियों में भी अंतर पाया जाता है।इसलिए प्रतिभाओं को सही दिशा में उचित परामर्श और मार्गदर्शन प्रदान करते हुए उन्हें उनकी अभिरुचियों के क्रम में पाठ्यक्रमों का चुनाव और तदनुसार योग्यताओं में वृद्धि करते हुए जीवन उद्देश्यों की प्राप्ति का सबसे सशक्त माध्यम है कैरियर काउंसिलिंग।ज्ञातव्य है कि माध्यमिक शिक्षा वह सीढ़ी है जहाँ से विद्यार्थी जीवन के निर्णायक मोड़ में प्रवेश करते हैं। कक्षा 9–10 के आसपास उनके मन में अनेक प्रश्न उठने लगते हैं—“आगे क्या पढ़ें?”, “कौन-सा विषय चुनें?”, “मेरी रुचि किस क्षेत्र में है?”, “भविष्य में कौन-सी नौकरी या व्यवसाय मेरे लिए उपयुक्त होगा?” इस स्तर पर यदि सुनियोजित कैरियर काउंसिलिंग उपलब्ध हो जाए तो न केवल विद्यार्थी भ्रम से मुक्त होते हैं बल्कि उनके भीतर आत्मविश्वास, सही दिशा और लक्ष्यबद्धता भी विकसित होती है।
       आज के बदलते दौर और वैश्विक परिदृश्य में आवश्यकताओं के मुताबिक योग्यतम युवाओं को तैयार करना ही कैरियर काउंसिलिंग का मुख्य उद्देश्य है।आज के युग में पारंपरिक करियर विकल्पों के साथ ही असंख्य नए क्षेत्र उभर रहे हैं—डेटा साइंस, एनीमेशन, साइबर सिक्योरिटी, एग्रीटेक, हेल्थकेयर मैनेजमेंट, टूरिज्म, डिजाइनिंग आदि। विद्यार्थी स्वयं इन विकल्पों का आकलन नहीं कर पाते।जिसके चलते वे दिग्भ्रमित रहते हैं और विभिन्न मानसिक अवसादों से घिरकर कुंठित होते जाते हैं।कई बार विद्यार्थी माता-पिता या समाज की इच्छाओं से प्रभावित होकर गलत विकल्प चुन लेते हैं। काउंसिलिंग उन्हें स्वयं को समझने और स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता देती है। इसके अलावा रुचि,योग्यता और व्यक्तित्व का सामंजस्य भी कैरियर काउंसलिंग के चलते ही संभव होती है।हर विद्यार्थी की क्षमता अलग होती है। सही काउंसिलिंग रुचि, अभिरुचि (Interest), योग्यता (Aptitude) और व्यक्तित्व (Personality) के अनुरूप मार्ग सुझाती है।
इसके साथ हीसमय के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं, प्रवेश प्रक्रियाओं और रोजगार के स्वरूप में बदलाव आया है। विशेषज्ञ मार्गदर्शन विद्यार्थियों को इसके लिए तैयार करता है।
    माध्यमिक स्तर पर कैरियर काउंसिलिंग के मुख्य रूप से पाँच  चरण होते हैं।जिसमें प्रथम चरण में स्वयं की पहचान (Self Assessment) करनी आवश्यक होती है।इसके लिए परामर्शदाता को विद्यार्थियों के रुचि परीक्षण (Interest Inventory),योग्यता परीक्षण (Aptitude Test),व्यक्तित्व परीक्षण (Personality Test) और विषयगत क्षमता जाँच परीक्षण किए जाने चाहिए।इन परीक्षणों के आधार पर विद्यार्थी यह समझ पाता है कि वह किस दिशा में स्वाभाविक रूप से बेहतर कर सकता है।
     काउंसलिंग के द्वितीय चरण में विषय चयन में मार्गदर्शन किया जाता है।हालांकि माध्यमिक स्तर पर कक्षा 9–10 के बाद प्रमुख रूप से तीन धाराएँ चुननी होती हैं—विज्ञान (PCM/PCB),वाणिज्य (Commerce) और कला/मानविकी (Humanities)।is निमित्त शिक्षकों और अभिभावकों का यह दायित्व बनता है कि विद्यार्थियों का उचित मार्गदर्शन करें।जिससे वे अपनी बौद्धिक क्षमता और रुचि के अनुसार उचित विषय/वर्ग का चयन कर सकें।काउंसिलिंग इन धारणाओं से जुड़े कैरियर विकल्प, भविष्य की पढ़ाई, क्षेत्रीय अवसर, और संभावित चुनौतियों को स्पष्ट करती है।
     कैरियर काउंसलिंग के तृतीय चरण में अवसरों और विकल्पों का परिचय कराया जाता है।विद्यार्थियों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के विकल्पों, नई तकनीकों, स्वरोजगार तथा सरकारी व निजी क्षेत्र की संभावनाओं से अवगत कराना आवश्यक है। यथा विज्ञान से → इंजीनियरिंग, मेडिकल, रिसर्च, स्पेस साइंस, फॉरेंसिक आदि।कॉमर्स से → CA, CS, CMA, वित्तीय प्रबंधन, बैंकिंग, बिजनेस।ह्यूमैनिटीज से → सिविल सेवा, पत्रकारिता, मनोविज्ञान, कानून, समाज सेवा।व्यावसायिक पाठ्यक्रम → आईटीआई, पॉलिटेक्निक, स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम।
      लक्ष्य निर्धारण (Goal Setting)कैरियर काउंसलिंग का चौथा और प्रमुख चरण होता है।विद्यार्थियों को दीर्घकालिक और अल्पकालिक लक्ष्य निर्धारित करवाना इस चरण में मुख्य विषय वस्तु होता है।किस परीक्षा के लिए कब तैयारी शुरू करनी है,किन कौशलों को विकसित करना है,कौन-से कोर्स उनके लिए लाभकारी होंगे आदि आदि चर्चा इसी चरण में की जाती है।जबकि अंतिम और पांचवें चरण में कौशल विकास (Skill Development) पर मुख्य फोकस किया जाता है।इसमें संचार कौशल,समस्या समाधान,डिजिटल साक्षरता,टीमवर्क,समय प्रबंधन,नए स्टार्ट अप्स आदि ।गौरतलब है कि कैरियर काउंसिलिंग केवल जानकारी नहीं देती, बल्कि कौशल निर्माण की दिशा भी दिखाती है।
    माध्यमिक स्तर पर कैरियर काउंसलिंग में विद्यालयों की विद्यालयों की भूमिका अत्यंत महनीय होती है।इसके लिए सरकार को चाहिए कि प्रत्येक माध्यमिक विद्यालय में काउंसिलिंग सेल का गठन करना अनिवार्य करे।इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित हो कि विद्यालयों में प्रशिक्षित काउंसलर, मनोवैज्ञानिक और विषय विशेषज्ञों को शामिल करते हुए कैरियर काउंसिलिंग सेल होना चाहिए।इसी प्रकार समय समय पर कैरियर मेले और कार्यशालाएँ भी आयोजित होने चाहिए।जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों और सेवा प्रदाताओं से विद्यार्थियों को सीधे संवाद का अवसर मिलता है जो भविष्य हेतु उत्प्रेरक का कार्य करता है।कैरियर काउंसलिंग हेतु अभिभावक–शिक्षक–विद्यार्थी त्रिकोण
सभी मिलकर योजना बनाएं ताकि विद्यार्थियों को समग्र सहयोग मिले।कैरियर काउंसलिंग में डिजिटल संसाधनों का उपयोग बड़ी भूमिका निभाता है।
काउंसिलिंग ऐप, सरकारी पोर्टल (जैसे NCS, SWAYAM), करियर पोर्टल आदि से जानकारी और प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाए।
    माध्यमिक स्तर पर कैरियर काउंसिलिंग मात्र एक वैकल्पिक सुविधा नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के भविष्य निर्माण की अनिवार्य आधारशिला है। जीवन की दिशा को सही मोड़ देने, भ्रम से बचाने, प्रतिभा को परिष्कृत करने और देश के मानव संसाधन को समृद्ध बनाने के लिए काउंसिलिंग की अनिवार्यता आज पहले से कहीं अधिक है।समुचित मार्गदर्शन पाने वाला विद्यार्थी आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ता है और वह न केवल अपने जीवन को संवारता है, बल्कि समाज और राष्ट्र के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है।
    आज के दौर में उत्तर प्रदेश में माध्यमिक स्तर पर कैरियर काउंसलिंग योजना यद्यपि राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में सरकार द्वारा क्रियान्वित की जा रही है किंतु जबतक इसे एडेड और वित्त विहीन विद्यालयों में भी पॉलिटेक्निक,आई टी आई और चिकित्सा तथा वाणिज्यिक संस्थानों के सहयोग  से पूर्ण रूप से संचालित नहीं किया जाता तबतक खानापूर्ति करके कागजी घोड़े दौड़ाने से कोई फल मिलने वाला नहीं है।हालांकि योजना स्वागतयोग्य है किंतु इसे सम्पूर्ण विद्यालयों में क्रियान्वित किया जाना नितांत अपरिहार्य है।