अम्बेडकर नगर :
सामाजिक समरसता में गोरक्षपीठ की भूमिका पर भव्य संगोष्ठी।
।। पूनम तिवारी।।
दो टूक : अंबेडकर नगर (भीटी)सामाजिक समरसता, सनातन परंपरा और राष्ट्र निर्माण की चेतना को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से ब्लॉसम इंडिया फाउंडेशन की ओर से रविवार, 14 दिसंबर को प्रातः 11 बजे अंबेडकर नगर के भीटी क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण और विचारोत्तेजक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय था — “सामाजिक समरसता में गोरक्षपीठ की भूमिका”।यह आयोजन राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की पावन स्मृति को समर्पित रहा।यह कार्यक्रम “समरसता संवाद” श्रृंखला का अगला चरण था, जो बाबा गोरखनाथ जी के आशीर्वाद से प्रयागराज से प्रारंभ होकर लखनऊ, सुलतानपुर, प्रतापगढ़ होते हुए अब अंबेडकर नगर पहुँचा। कार्यक्रम ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि सामाजिक समरसता केवल एक विचार नहीं, बल्कि भारतीय समाज की जीवंत परंपरा और सनातन संस्कृति का मूल तत्व है।चिन्मया मिशन,लखनऊ केंद्र के प्रमुख स्वामी चैतन्य कौशिक जी ने अपने ओजस्वी वक्तव्य में कहा,
“सनातन हिंदू धर्म का मूल ही समरसता है। लोगों को यह जानना चाहिए कि गोरखनाथ पीठ का सामाजिक समरसता के लिए योगदान क्या रहा है। आज भी गोरखनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी कमलनाथ जी दलित समाज से आते हैं। नाथ संप्रदाय में आने के बाद जातियाँ समाप्त हो जाती हैं। यह सर्वविदित है कि गोरखनाथ मठ के पुजारी दलित हैं और महंत का स्थान भी मुख्य पुजारी के नीचे ही होता है। यह परंपरा स्वयं में सामाजिक समानता का जीवंत उदाहरण है।”राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश के बौद्धिक प्रमुख मिथलेश जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि गोरक्षपीठ की परंपरा ने समाज को सदैव जोड़ने का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि समरसता भारतीय समाज की आत्मा है और इसे समझे बिना राष्ट्र निर्माण की कल्पना अधूरी है।
विधान परिषद सदस्य डॉ. हरिओम पांडे जी ने कहा,
“योगी आदित्यनाथ जी की सरकार समाज के हर वर्ग के विकास और उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है। मैं बहुत पहले से ही गोरक्षपीठ और मठ की परंपराओं से जुड़ा रहा हूँ और यह देख रहा हूँ कि किस तरह यह पीठ सामाजिक समरसता की प्रयोगशाला रही है।”कटहरी के विधायक धर्मराज निषाद जी ने अपने संबोधन में कहा,
“योगी जी के नेतृत्व में हम सभी समाज के सबसे निचले पायदान पर बैठे लोगों के समग्र विकास के लिए दिन-रात कार्य कर रहे हैं। गोरक्षपीठ की प्रेरणा ही हमें इस दिशा में निरंतर आगे बढ़ने की शक्ति देती है।”
●आयोजन का उद्देश्य --
कार्यक्रम संयोजक और ब्लॉसम इंडिया फाउंडेशन के संस्थापक शशि प्रकाश सिंह ने कहा“मेरा उद्देश्य है कि सामाजिक समरसता में गोरखनाथ मठ के योगदान का सत्य समाज के सामने आए। गोरक्षपीठ केवल एक धार्मिक केंद्र नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, सेवा और समरसता का जीवंत प्रतीक रही है। इसी उद्देश्य से मैं इस प्रकार के कार्यक्रम प्रत्येक जिले और हर प्रदेश में आयोजित करने का प्रयास कर रहा हूँ।”
कार्यक्रम की विशेषताएँ -
संगोष्ठी के दौरान गोरक्षपीठ के इतिहास और सामाजिक योगदान पर आधारित विचार-विमर्श ने श्रोताओं को गहराई से प्रभावित किया। संतों, विचारकों, जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, युवाओं और महिलाओं की बड़ी संख्या में सहभागिता ने कार्यक्रम को व्यापक सामाजिक संवाद का स्वरूप दिया।
यह आयोजन न केवल राष्ट्रसंत महंत अवेद्यनाथ जी महाराज को श्रद्धांजलि था, बल्कि यह संदेश भी था कि समरसता ही सनातन की आत्मा और राष्ट्र की शक्ति है।
कार्यक्रम का समापन सामाजिक समरसता के संकल्प और गुरु गोरखनाथ जी के स्मरण के साथ हुआ।
