सुल्तानपुर :
राम सीता का पादुका अवतार अद्भुत युगलावतार है : रामभद्राचार्य ।
।।ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह 'रवि' ।।
दो टूक : सुलतानपुर : भगवान के बहुत अवतार होते हैं पर राम सीता का एकसाथ पादुका अवतार अद्भुत युगलावतार है । भरत चित्रकूट से अयोध्या जो पादुका लेकर चले उसमें दाहिनी पादुका में राम और बाईं पादुका में सीता का अवतार हुआ था । इन्हीं पादुकाओं ने सकुशल अयोध्या का शासन चलाया । यह बातें चित्रकूट तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य ने कहीं ।वह विजेथुआ महोत्सव के आठवें दिन वाल्मीकि रामायण कथा सुना रहे थे।
उन्होंने कहा कि तुलसी पीठ भारत का प्रामाणिक पीठ है क्योंकि यहां पादुका पूजन की परम्परा है। सबसे पहले पादुका पूजन की परम्परा चित्रकूट से ही शुरू की । जिसकी शुरुआत भरत ने की । बताया कि जब तक मोक्ष की इच्छा रहेगी व्यक्ति ईश्वर को नहीं पा सकता। जो मुक्त हो जाते हैं वह भी भगवान राम की शरण चाहते हैं। मुक्त भगवान के गले का मुक्ताहार बनता है और भक्त भगवान के चरणों की सेवा करता है।
उन्होंने कहा कि राम सीता और लक्ष्मण यही तीन हमारे आराध्य हैं। रामायण में वाल्मीकि कहते हैं राम परमात्मा सीता भक्ति व लक्ष्मण वैराग्य हैं। वैराग्य और भक्ति से ही परमात्मा को प्राप्त किया जा सकता है।
कथा में पहुंचे तुलसी पीठाधीश्वर के शिष्य व बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि एक दिन ऐसा आएगा जब गुरु रामभद्राचार्य के संरक्षण में भारत हिन्दू राष्ट्र बनेगा । जातियों के अभिमान को छोड़कर हम सबको एक होना पड़ेगा। नारा लगवाया कि छुआछूत की करो विदाई हम सब हिन्दू भाई भाई। अंग्रेजी विद्यालयों को बंद कर संस्कृत विद्यालयों में बदलना होगा। मंदिरों के साथ विद्यालयों को जोड़ना पड़ेगा ।
अयोध्या के चर्चित महंत राजूदास ने इस अवसर पर कहा कि गुरुदेव रामभद्राचार्य हम सबके आदर्श है वे सनातन का झंडा बुलंद करने वालों के संरक्षक हैं । उनकी इच्छा है कि पाक अधिकृत कश्मीर शीघ्र ही भारत में शामिल हो ।
आयोजक विवेक तिवारी के अनुज डॉ रत्नेश तिवारी ने सपत्नीक व्यासपीठ का पूजन किया। तुलसी पीठ के उत्तराधिकारी रामचन्द्र दास ने गुरु अर्चन किया। इस अवसर पर विधायक राजेश गौतम,भाजपा जिलाध्यक्ष सुशील त्रिपाठी, चेयरमैन आनंद जायसवाल, डॉ सुरेन्द्र प्रताप तिवारी, अमरीश मिश्र, राम विनय सिंह व डॉ हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव समेत अनेक प्रमुख व्यक्ति उपस्थित रहे।
●श्रीराम कथा मे हुआ संत समागम।
