शनिवार, 11 अक्टूबर 2025

सुल्तानपुर : महफिले शुकराना में उमड़ा जनसैलाब, निकला चादर शरीफ का भव्य जुलूस।||Sultanpur: A huge crowd gathered at the Shukrana Mehfil, and a grand procession of Chadar Sharif was taken out.||

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सुल्तानपुर : 
महफिले शुकराना में उमड़ा जनसैलाब, निकला चादर शरीफ का भव्य जुलूस।
दो टूक : सुलतानपुर जनपद के गोसाईंगंज क्षेत्र गौसाबाद स्थित हज़रत महबूबुल आरिफ़ीन की दरगाह पर चल रहा उर्स गौसुल आज़म शनिवार को महफिले शुकराना के साथ परवान पर पहुंचा। पांच दिन तक चली रूहानी महफ़िलों, कव्वालियों और दुआओं के सिलसिले ने पूरे क्षेत्र को सूफियाना रंग में रंग दिया।
सुबह गुलशने कादिरिया की तरफ़ से चादर शरीफ़ का भव्य जुलूस जोली मोड़ से निकाला गया। नारों की गूंज के बीच जब यह जुलूस दरगाह शरीफ पहुंचा, तो फिज़ा में अकीदत और मोहब्बत का आलम छा गया। चादर चढ़ाने के बाद जायरीनों ने दरगाह पर हाजिरी दी, सिर झुकाकर शुकराना अदा किया और अपनी मुरादें मांगीं।
उर्स के समापन अवसर पर विशेष प्रसाद-ए-शुकराना का तक्सीम किया गया। इसे पाने के लिए जायरीनों की लंबी कतारें लग गईं। दरगाह परिसर में दूर-दराज़ जिलों, यहां तक कि पड़ोसी प्रदेशों से आए हजारों जायरीन मौजूद रहे।
दरगाह शरीफ के सज्जादानसी हजरत मौलाना मोहम्मद नसीमुद्दीन कादिरी ने बताया कि इस उर्स में हर साल इंसानियत, मोहब्बत और भाईचारे का पैगाम मिलता है। उन्होंने कहा यह वह दरगाह है जहाँ हिंदू-मुस्लिम सब एक साथ झुकते हैं, यहां न कोई मजहब की दीवार है, न कोई भेदभाव।
महफिले शुकराना में देश के नामी कव्वालों ने सूफी कलाम पेश कर महफिल को रूहानी रंग में डुबो दिया। ‘गौस-ए-आज़म के नाम की दरिया-ए-रहमत बह रही थी’, यह नज़ारा देखकर हर ज़ुबान पर बस एक ही बात थी यही है असली हिंदुस्तान, जहाँ अमन और मोहब्बत की जीत होती है।
दरगाह परिसर, बाज़ार और आस-पास की गलियाँ रोशनी और सजावट से जगमगा उठीं। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी के चेहरों पर खुशी और इमान की रौनक झलक रही थी।