शनिवार, 11 अक्टूबर 2025

अंबेडकर नगर :डिप्टी सीएमओ की पत्नी के नाम अल्ट्रासाउंड सेंटर बना निष्पक्षता केन्द्र।||Ambedkar Nagar:An ultrasound center named after the wife of the Deputy CMO has been converted into a center for impartiality.||

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अंबेडकर नगर :
डिप्टी सीएमओ की पत्नी के नाम अल्ट्रासाउंड सेंटर बना निष्पक्षता केन्द्र।।
आरटीआई से हुआ सनसनी खुलासा।
।।ए के चतुर्वेदी ।।
दो टूक : अंबेडकरनगर जिले के स्वास्थ्य विभाग में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब डिप्टी सीएमओ डॉ.संजय कुमार वर्मा पर प्री-कन्सेप्शन एंड प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स (PCPNDT) एक्ट 1994 के उल्लंघन का सनसनीखेज आरोप लगा। मेरठ निवासी राहुल ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत दाखिल RTI में डॉ. वर्मा की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाए, जिससे जिले में चर्चा का बाजार गर्म हो गया।
राहुल ने RTI में PCPNDT एक्ट की धारा 18ए(iv) का हवाला देते हुए दावा किया कि डॉ. वर्मा की पत्नी ज्योति वर्मा के नाम पर रामा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल नामक अल्ट्रासाउंड और डायग्नोस्टिक सेंटर संचालित हो रहा है। जो इस एक्ट के दायरे में आता है। यह धारा स्पष्ट कहती है कि हितों के टकराव से प्रभावित व्यक्ति एडवाइजरी कमेटी का सदस्य या कानूनी विशेषज्ञ नहीं हो सकता। 
ऐसे में सवाल उठता है कि डॉ. वर्मा अल्ट्रासाउंड सेंटरों की जांच या पंजीकरण से जुड़ी प्रक्रिया का हिस्सा कैसे हो सकते हैं। RTI में यह भी पूछा गया कि क्या रामा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल स्वास्थ्य विभाग में पंजीकृत है और डॉ. वर्मा ने इस प्रक्रिया में क्या भूमिका निभाई। शिकायतकर्ता का आरोप है कि यदि यह सेंटर उनके प्रभाव क्षेत्र में चल रहा है, तो यह न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि उनकी निष्पक्षता को भी कटघरे में खड़ा करता है।इस खुलासे ने स्वास्थ्य विभाग में तनाव पैदा कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक, मामला उच्च अधिकारियों के संज्ञान में है और जल्द ही विभागीय जांच शुरू हो सकती है। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया। स्थानीय लोग इसे PCPNDT एक्ट के उल्लंघन के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता की कमी के रूप में देख रहे हैं। डॉ. वर्मा से संपर्क करने की कोशिश नाकाम रही, क्योंकि उन्होंने फोन कॉल का जवाब नहीं दिया।जैसे-जैसे यह मामला तूल पकड़ रहा है, अंबेडकरनगर की जनता की नजरें स्वास्थ्य विभाग और उच्च अधिकारियों पर टिकी हैं। क्या यह खुलासा बड़े घोटाले की ओर इशारा करता है, या महज प्रशासनिक चूक है, इसका जवाब जांच से ही मिलेगा।