सुल्तानपुर :
ज्ञान विज्ञान के प्राचीन स्रोत हेतु संस्कृत की ओर देखती है दुनिया : डॉ अमित तिवारी ।
◆राणा प्रताप पीजी कालेज में हुआ बाबू धनंजय सिंह स्मृति व्याख्यान ।
दो टूक : सुलतानपुर। संस्कृत भारत की आत्मा है। दर्शन कला विज्ञान चिकित्सा पर्यावरण आदि संस्कृत साहित्य में भरे पड़े हैं। दुनिया भर के विद्वान ज्ञान विज्ञान के प्राचीन स्रोत के लिए संस्कृत की ओर देखते हैं। मुगलों के आक्रमण के पहले विश्व के दो तिहाई हिस्से में संस्कृत का प्रभाव था ।
यह बातें राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ अमित तिवारी ने कहीं।
वह महाविद्यालय के पुस्तकालय कक्ष में आयोजित बाबू धनंजय सिंह स्मृति आंतरिक व्याख्यान माला के अंतर्गत वैश्विक परिदृश्य में संस्कृत की प्रासंगिकता एवं उपादेयता विषय पर व्याख्यान दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि संस्कृत की ध्वनि व लिपि सुनियोजित और वैज्ञानिक है। विभिन्न तरह के साफ्टवेयर हों या एआई तकनीक इनकी कोडिंग के लिए संस्कृत सबसे उपयुक्त भाषा सिद्ध हुई है।
स्वागत कार्यक्रम संयोजक असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ आलोक पाण्डेय और संचालन असिस्टेंट प्रोफेसर ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि ने किया।
इस अवसर पर प्राचार्य प्रोफेसर दिनेश कुमार त्रिपाठी,उप प्राचार्य प्रोफेसर निशा सिंह, कुलानुशासक प्रोफेसर शैलेन्द्र प्रताप सिंह व आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ के निदेशक प्रोफेसर इन्द्रमणि कुमार समेत महाविद्यालय के शिक्षक व विद्यार्थी उपस्थित रहे।