लखनऊ :
गुरुओं को समर्पित‘नैवेद्य’अखिल भारतीय चित्रकला प्रदर्शनी का हुआ उद्घाटन।।
◆लखनऊ जिला विद्यालय निरीक्षक राकेश कुमार पाण्डेय ने प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।
दो टूक : कला दीर्घा’ अंतरराष्ट्रीय दृश्यकला पत्रिका एवं ‘कला स्रोत’ कला वीथिका, लखनऊ द्वारा संयुक्त तत्वावधान में आयोजित गुरुओं को समर्पित ‘नैवेद्य’ अखिल भारतीय चित्रकला प्रदर्शनी का दीप प्रज्ज्वलित कर उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि राकेश कुमार पांडे जिला विद्यालय निरीक्षक लखनऊ ने कहा कि जैसे हम अपने को स्वस्थ रखने के लिए प्राणायाम और अन्य अभ्यास करते हैं, इसी तरह मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए कलाओं का साहचर्य आवश्यक है। मुख्य अतिथि ने कलाकारों को स्मृति चिन्ह एवं प्रदर्शनी पुस्तिका प्रदान कर उनका सम्मान किया और कहा कि समस्त कलाकार समाज में अपनी रचनात्मकता के माध्यम से सकारात्मकता प्रसारित करते रहें। प्रदर्शनी में कला एवं शिल्प महाविद्यालय, लखनऊ के वरिष्ठ आचार्य आलोक कुमार, प्राचार्य डॉ रतन कुमार, वरिष्ठ आचार्य रविकांत पाण्डेय, डॉ शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के ललित कला विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष आचार्य राजेंद्र प्रसाद, प्राध्यापक डॉ अवधेश मिश्र, अतिथि व्याख्याता डॉ फौजदार, डॉ रीना गौतम, शोध छात्र प्रशान्त चौधरी, श्रद्धा तिवारी, पूर्व छात्र एवं छात्राएं डॉ अनीता वर्मा, सुमित कुमार, अभिषेक कुमार (पोंडिचेरी), अनुराग गौतम (मध्य प्रदेश), अर्पिता द्विवेदी, अनुरंजिका द्विवेदी, सौरवी सिंह, ज्ञान चन्द्र, उमा शंकर, राजकुमार अकेडमी, लखनऊ से सपना यादव और सुमित कश्यप, कानपुर विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ सचिव गौतम, डॉ मिठाई लाल और प्रिया मिश्रा, इलाहाबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय, प्रयागराज से डॉ सचिन सैनी के अतिरिक्त हिमांशु शर्मा, महाराष्ट्र , इन्द्रपाल , सीतापुर, कमलेश्वर सिंह, मथुरा, मयंक वैश्य, शिवानी वर्मा और श्रीयांशी सिंह, लखनऊ, मयंक सिंह यादव, अलीगढ़, निलेश अशोक इंगले, महाराष्ट्र, डॉ ओमप्रकाश गुप्ता, बनारस, पंकज यादव, कानपुर, प्राची यादव, उन्नाव, आर राजेशियो, राजस्थान, रश्मि सिंह, आगरा, वैभव पाण्डेय, अर्चिता मिश्र, अंजली यादव, लखनऊ और गणेश शंकर मिश्र, छत्तीसगढ़ कुल 41 कलाकारों की कलाकृतियां प्रदर्शित हैं।
प्रदर्शनी की क्यूरेटर डॉ लीना मिश्र ने बताया कि ‘कला दीर्घा’ अंतरराष्ट्रीय दृश्यकला पत्रिका अपने रजत जयन्ती वर्ष में पूर्व की भाँति अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए दो पीढ़ियों के साधनारत-कलाकारों को एक मंच पर लाकर ‘गुरुओं’ के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करने हेतु ‘नैवेद्य’ प्रदर्शनी के साथ उपस्थित है। इस प्रदर्शनी के आयोजन में सहभागी बनी ‘कला स्रोत’ कला वीथिका के निदेशक द्वय- श्रीमती मानसी डिडवानिया और श्री अनुराग डिडवानिया के द्वारा लखनऊ के कला परिदृश्य में निरन्तर दिया जा रहा अवदान सराहनीय है क्योंकि उन्होंने गैरसरकारी संस्था के रूप में कलाकारों को यह मंच उपलब्ध कराया है। यह प्रदर्शनी जिन तीन युवा कलाकारों के अथक परिश्रम का प्रतिफल है, वे भी कला जगत में आज ध्यातव्य बन चुके हैं जिनकी अपनी रचनात्मकता और आयोजनों का समन्वयन सराहनीय है। प्रदर्शनी के समन्वयकत्रय- डॉ अनीता वर्मा, प्रशान्त चौधरी एवं सुमित कुमार की सतत सक्रियता से कलाजगत और भी बेहतर होगा, ऐसी आशा है।
पत्रिका की प्रकाशक ने बताया कि ‘कलादीर्घा’ भारतीय कलाओं के विविध स्वरूपों का दस्तावेजीकरण और उसके प्रसार के उद्देश्य से सन 2000 में श्रीमती अन्जू सिन्हा (संस्थापक प्रकाशक) और डॉ अवधेश मिश्र (संस्थापक संपादक) द्वारा स्थापित, दृश्य कलाओं की अन्तरदेशीय पत्रिका है जो अपनी उत्कृष्ट कला-सामग्री और सुरुचिपूर्ण-कलेवर के कारण सम्पूर्ण कलाजगत में महत्त्वपूर्ण पत्रिका के रूप में दर्ज की गई है। कला दीर्घा देश-विदेश में श्रीमती अन्जू सिन्हा और डॉ अवधेश मिश्र की मानस-संतति के रूप में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान बनाते हुए पल्लवित-पुष्पित होती रही है और आज अपने स्थापना वर्ष से लेकर अपनी यात्रा के रजत जयंती वर्ष पूर्ण करने तक उत्साहपूर्वक लखनऊ, पटना, भोपाल, जयपुर, बंगलौर, नई दिल्ली, लन्दन, बर्मिंघम, दुबई, मस्कट आदि महानगरों में अनेक कला गतिविधियों का उल्लेखनीय आयोजन किया है और आगे भी सोल्लास अपने दायित्वों का निर्वहन करती रहेगी। पत्रिका ने समय-समय पर वरिष्ठ कलाकारों के कला-अवदान का सम्मान करते हुए युवा कलाकारों को अपनी अभिव्यक्ति और नित नए प्रयोगों को कलाप्रेमियों के समक्ष प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान किया है। कलादीर्घा, दृश्य कलाओं की अन्तरदेशीय पत्रिका हाल में ही आयोजित कला प्रदर्शनी ‘हौसला’, ‘वत्सल’, ‘समर्पण’, ‘ढिबरी’, ‘बसन्त’, ‘नास्टैल्जिया.25’, ‘चौपाल’, ‘हुलास’, ‘मड़ई’, और ‘अरघान’ के उपरान्त आज फिर ‘नैवेद्य’ प्रदर्शनी के साथ उपस्थित है, जिसका प्रदर्शन 6 से 8 सितम्बर 2025 तक दोपहर 12 बजे से 07 बजे शाम तक कला स्रोत कला वीथिका, अलीगंज, लखनऊ में होगा। कार्यक्रम का प्रारंभ जिला विद्यालय निरीक्षक महोदय द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। उसके पश्चात अंग वस्त्र, मोमेंटो, पौधा और कैटलॉग देकर उनका स्वागत किया गया। इस कार्यक्रम में सभी सम्मानित कलाकार और प्रतिभागी कलाकार उपस्थित हुए । साथ ही नगर के गणमान्य लोग भी उपस्थित थे । कला दीर्घा के संपादक डॉ अवधेश मिश्र ने कहा कि जैसे पश्चिमी देशों ने अपने रचनाकर्म का दस्तावेजीकरण किया है, उससे अधिक ज्ञान विज्ञान मनीषा और कलाकर्म होते हुए भी हम समुचित दस्तावेज़ीकरण नहीं कर पाए हैं जो अपने क्षमता और संभावना के अनुसार कला दीर्घा पत्रिका कर रही है और आगे भी करती रहेगी। हम अपने राज्य के कलाकारों को संगठित कर देश और देशीय सीमा के बाहर भी कार्य करेंगे।
◆कलाओं का साहचर्य मानसिक संतुष्टि का महत्त्वपूर्ण साधन : राकेश कुमार पाण्डेय।