मंगलवार, 23 सितंबर 2025

अधिवक्ता मोहम्मद जैन को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत!!

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अधिवक्ता मोहम्मद जैन को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत!!

 !!वरिष्ठ संवाददाता देव गुर्जर!!

पुलिस विवेचना तीन माह में पूरी करने के आदेश

दो टूक ::प्रयागराज, 18 सितंबर 2025।
रंगदारी के झूठे मुकदमे में फंसे अधिवक्ता मोहम्मद जैन को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की अदालत ने अधिवक्ता की अग्रिम जमानत शर्तों के साथ मंजूर करते हुए पुलिस को तीन माह के भीतर विवेचना पूरी करने का सख्त आदेश दिया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी निर्दोष को झूठे मुकदमे में परेशान करना न्याय की मूल भावना के खिलाफ है।


एयरपोर्ट थाने में दर्ज हुआ था मामला


मामला प्रयागराज के एयरपोर्ट थाने से जुड़ा है। यहां 21 मई 2024 को फूलचंद केशरवानी ने अधिवक्ता मोहम्मद जैन, हासिर और मोहम्मद अनस पर पांच लाख रुपये की रंगदारी मांगने व मारपीट का मुकदमा दर्ज कराया था। विवेचना अधिकारी ने 17 मार्च 2025 को पर्याप्त साक्ष्य न मिलने पर इस मामले में अंतिम रिपोर्ट लगाई थी। बावजूद इसके मुकदमे को दबाव में बनाए रखने की कोशिश होती रही।


अधिवक्ता पक्ष की दलील


याची की ओर से अधिवक्ता सुनील चौधरी ने अदालत में कहा कि मोहम्मद जैन एक अधिवक्ता हैं और घटना के दिन जनपद न्यायालय, प्रयागराज में मौजूद थे। यह मुकदमा राजनीतिक और व्यक्तिगत रंजिश का परिणाम है। उन्होंने बताया कि शिकायतकर्ता फूलचंद, रिजवान निवा गैंग से जुड़ा है और पूर्व में भी इसी तरह के फर्जी मुकदमे दर्ज करा चुका है।


वक्फ संपत्तियों से जुड़ा विवाद


दरअसल, अधिवक्ता जैन की मां श्रीमती अर्शी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर वक्फ संपत्तियों (वक्फ नंबर 66, 67, 68) में गड़बड़ी की शिकायत की थी। इसमें अम्माद हसन पर अवैध रूप से मुतवल्ली घोषित होने का आरोप लगाया गया था। इस शिकायत पर प्रमुख सचिव संजय प्रसाद ने जांच के आदेश दिए थे। बताया गया कि इस पृष्ठभूमि में अम्माद हसन के दबाव में याची के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज कराया गया।


अधिवक्ता समुदाय का विरोध


इस मामले में प्रयागराज जिला बार एसोसिएशन ने भी अधिवक्ता जैन के समर्थन में मोर्चा खोला था। चार दिनों तक करीब 20 हजार अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य से विरत रहकर हड़ताल की थी और इस मुकदमे को बेबुनियाद बताया था।


कोर्ट का आदेश और निर्देश


अपर शासकीय अधिवक्ता ने जमानत याचिका का विरोध किया, लेकिन दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने अग्रिम जमानत मंजूर कर ली। साथ ही आदेश दिया कि याची अदालत के आदेश की सत्यापित प्रति 10 दिनों के भीतर एसएसपी प्रयागराज को प्रस्तुत करें। एसएसपी को इस आदेश के अनुपालन की जिम्मेदारी दी गई है।


न्यायालय का स्पष्ट संदेश


अदालत ने कहा कि पुलिस विवेचना निष्पक्ष और समयबद्ध होनी चाहिए ताकि दोषियों को सजा मिले और निर्दोषों को अनावश्यक उत्पीड़न न सहना पड़े। यह फैसला अधिवक्ता समुदाय के लिए बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है। साथ ही यह संदेश भी देता है कि न्यायालय झूठे मुकदमों में फंसाए जाने के विरुद्ध पूरी तरह सतर्क है।