शुक्रवार, 8 अगस्त 2025

अम्बेडकर नगर :घर घर तिरंगा और झंडे का सम्मान।।||Ambedkar Nagar:Tricolour and flag are respected in every home.||

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अम्बेडकर नगर :
घर घर तिरंगा और झंडे का सम्मान।।
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दो टूक : "केशरिया बल भरने वाला,सादा है सच्चाई का।
हरा रंग है हरी हमारी,धरती  की  अंगड़ाई का।।
और चक्र कहता है प्रतिपल,आगे कदम बढ़ेगा।
ऊँचा   सदा   रहा   है  झंडा,ऊँचा  सदा रहेगा।।"
जिस तरह किसी भी मंदिर की पताका उसके सत्य, सनातन और श्रेष्ठ व स्वतंत्र होने का प्रतीक होती है।उसी तरह इसमें दो राय नहीं कि तिरंगा हमारे आन,बान, शान और सम्मान का प्रतीक होने के साथ ही साथ वैश्विक स्तर पर राष्ट्रीय अस्मिता का जीवंत प्रतीक है।जिसे देश के प्रत्येक घर पर फहराने का अभियान प्रशंसनीय होने के साथ ही साथ स्वागतयोग्य भी है किंतु इस अभियान के दौरान तिरंगे का सम्मान बनाये रखते हुए इसको फहराना भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं है।अतएव जनसामान्य को तिरंगे के सम्मान के बाबत भी अवगत कराया जाना उतना ही महत्त्वपूर्ण है जितना कि घर घर फहराते हुए राष्ट्रीय प्रतीक के प्रति अपनी अपार श्रद्धा और सम्मान को व्यक्त किया जाना है।
    गौरतलब है कि प्रमुख राष्ट्रीय पर्वों यथा गणतंत्र दिवस,स्वाधीनता दिवस और दो अक्टूबर आदि को सभी जगहों को छोड़कर केवल सरकारी और अर्धसरकारी कार्यालयों पर ही ध्वजारोहण व ध्वज फहराए जाने की पूर्व में अनुमति थी।किन्तु 26 जनवरी 2002 में राष्ट्रीय ध्वज संहिता में बदलाव करते हुए इसे आमलोगों के घरों पर भी फहराए जाने की अनुमति प्रदान की गयी थी।ध्यातव्य है कि इसीवर्ष जुलाई माह में भारत सरकार ने राष्ट्रीय ध्वज संहिता में आमूलचुक बदलाव करते हुए इसे सभी घरों व कार्यालयों सहित चौबीसों घण्टे फहराए जाने की राजाज्ञा जारी की है।जिसे राष्ट्रीयता के प्रतीक और स्वाभिमान के प्रतीक के रूप में देश के प्रत्येक घरों व कार्यालयों पर अनिवार्य रूप से फहराया जाना है।इतना ही नहीं सरकार ने इसदफ़ा तिरंगे के निर्माण हेतु खादी, पोलिस्टर,ऊन आदि के प्रयोग की भी अनुमति दी है किंतु प्रश्न महत्त्वपूर्ण यह है कि ध्वज फहराए जाने से अधिक उसके सम्मान के प्रति भी सचेत होना है,अन्यथा एक नई समस्या और बहस को बेमतलब ही बल मिलेगा जो इस महत्त्वाकांक्षी अभियान में बाट लगा सकता है।
    वस्तुतः राष्ट्रीय ध्वज स्वाधीनता दिवस को ध्वजारोहण नाम से जबकि गणतंत्र दिवस पर ध्वज फहराने के नाम से फहराया जाता है।15 अगस्त 1947 को भारत में सदियों से फहरने वाला ब्रिटिश ध्वज यूनियन जैक की ध्वजदंड से पहले उतारा गया था तदुपरांत भारतीय तिरंगे को ऊपर चढ़ाया गया था।यही कारण है कि 15 अगस्त को प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले समारोह ध्वजारोहण नाम से आयोजित किये जाते हैं।जबकि 26 जनवरी को आरोहित हो चुके ध्वज में फूल इत्यादि बांधकर नियमानुसार उसे फहराया जाता है।
  प्रश्न जहाँतक भारतीय तिरंगे की नाप और निर्माण का है तो मानक के मुताबिक इसे 120:80 सेमी या फिर 3:2 नाप का होना अनिवार्य है।नवीनतम प्रावधानों के मुताबिक ध्वज निर्माण में पोलिस्टर,खादी, ऊन आदि का प्रयोग हो सकता है किंतु पन्नी या प्लास्टिक का प्रयोग वर्जित है।ध्वजदंड की मानक लंबाई 18 से 22 फीट होती है किंतु घरों पर फहराए जाने वाले ध्वजपोल की लंबाई भी 3.5 फीट से कम नहीं होनी चाहिए।यद्यपि की इस सम्बंध में कोई स्प्ष्ट दिशानिर्देश नहीं हैं तथापि स्वविवेक से ध्वजदंड की लंबाई इतनी रखनी चाहिए कि यह घरों पर अबाध गति से फहरता रहे।इसके अलावा ध्वज पर कुछ नहीं लिखा होना चाहिये।
     घर घर ध्वज फहराने के दौरान आवश्यक है कि हम ध्वज शिष्टाचार से भी अवगत हों अन्यथा जानकारी के अभाव में जाने अनजाने हुई गलती न केवल राष्ट्रीय अपराध की श्रेणी में आएगी अपितु हमारी भावनाओं को भी चुटहिल करेगी।अस्तु इससे अवगत होना आवश्यक है कि ध्वज किसी भी दशा में कमर से नीचे नहीं आना चाहिए।इसे चढ़ाते समय तेज तो उतारते समय धीरे धीरे उतारा जाता है।इसके अलावा ध्वजपोल से झंडा उतारते समय उसे लखना नहीं चाहिए और जब ध्वज अपने सिर तक आ जाये तो इसे दाएं कंधे पर धारण करके आराम से गांठ खोलकर इसकी तह लगानी चाहिए।झंडे की तह लगाते समय यह ध्यान रखना आवश्यक है कि चक्र वाला भाग बीच में दृष्टिगोचर रहे तथा केशरिया रंग वाला भाग फहराते समय सदैव ऊपर रहे।तूफान और भीषण बारिश आदि की स्थिति में ध्वज की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नियमानुसार उतारकर तह लगाकर रख देना चाहिए।यदि ध्वज कटा फटा या खंडित हो गया हो तो उसे किसी भी स्थिति में प्रयोग में नहीं लाना चाहिए।कटे फटे और पुराने ध्वज का रुमाल,तकिया,पर्दा व खिलौना बनाना गम्भीर अपराध माना जाता है ।अतः इस स्थिति में ध्वज को बिल्कुल एकांत में नष्ट कर देना चाहिए या फिर जमीन में गाड़ देना ठीक रहता है।पह
ले सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही ध्वज फहराने की अनुमति थी किन्तु अब कोई भी व्यक्ति चौबीसों घण्टे इसे अपने घर पर फहरा सकता है।अतः फहराने के साथ ही साथ उसे प्रतिदिन ध्वज की सुरक्षा और उसके सम्मान के लिए भी जागरूक होना पड़ेगा।
     भारत सरकार द्वारा लांच किया गया घर घर तिरंगा अभियान एकओर जहां तिरंगे के प्रति राष्ट्रीय श्रद्धा और सर्वोच्च सम्मान प्रदर्शित करने का अभियान है तो जनमानस को यह भी देखना होगा कि अभियान की समाप्ति के पश्चात तिरंगे सुरक्षित रूप से तह करके या तो रख दिये जायं या फिर सदैव फहरें किन्तु किसी भी स्थिति में ये छोटे बच्चों के लिए खेल का सामान न बनें,गलियों,कूड़ों और गंदे स्थानों पर फेंकें न जायें।यदि ऐसा होता है तो यह न केवल अभियान को पलीता लगाएगा अपितु अनर्गल प्रलापों को भी जन्म देगा,जोकि चिंतनीय है।यदि सभी देशवासी तन मन से जुट कर तिरंगे के सम्मान के प्रति समर्पित हो जाएं तो निम्न पंक्तियां स्वत्: ही चरितार्थ होंगीं-
"सागर में लहराए झंडा,नभ में भी फहराए झंडा।
जहां जहां भी जाये झंडा,ये   संदेश सुनाये झंडा।।
है   आज़ाद   हिंद   और,सबको आज़ाद करेगा।
ऊँचा   सदा   रहा   है झंडा,ऊंचा   सदा   रहेगा।।"
-उदयराज मिश्र
अध्यक्ष,अयोध्यामण्डल
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ,उत्तर प्रदेश
(माध्यमिक संवर्ग)