मंगलवार, 15 जुलाई 2025

गोण्डा- फुलवारी पब्लिक स्कूल में "ऑल इंडिया मुशायरा" का हुवा भव्य आयोजन

शेयर करें:
गोण्डा- फुलवारी पब्लिक स्कूल के प्रांगण में भव्य ऑल इंडिया मुशायरा का आयोजन किया गया। इसमें देशभर से नामचीन शायरों और कवियों ने शिरकत की। श्रोताओं की भारी तादाद के बीच शायरी की महफिल देर रात तक सजी रही और हर शेर पर वाह-वाह की गूंज उठती रही। कार्यक्रम की शुरुआत मशहूर शायर चाकूब ‘अज्म’ गोण्डवी के शेर से हुई: “खूब हमने सजाई आज की शाम, आबरू-ए-ग़ज़ल खुमार के नाम।”
जिसने पूरे माहौल को ग़ज़ल के रंग में रंग दिया।
किरन भारद्वाज ने अपनी रचना में आत्मबल और साहस का संदेश देते हुए कहा: “कमज़ोर नहीं हूँ कि बिखर जाऊंगी, वो हौसला हूँ बन के संवर जाऊँगी।”
वसीम मजहर गोरखपुरी ने अपने कलाम में देशभक्ति की भावनाओं को जगाया:
“चलो अब सर पे अपने हम तिरंगा बाँध कर निकलें,
हमें हिन्दोस्ताँ की सरहदें आवाज़ देती हैं।”
अली बाराबंकवी ने बेटियों को लेकर खूबसूरत शेर पेश किया: “कितना नसीब वाला हूँ मैं भी, जहान में मौला तेरे करम से मेरे घर हैं बेटियाँ।”
विराज मंज़र काकोरवी ने दर्द-ए-दिल को यूं बयां किया: “अब तेरे लौटने का कोई फायदा नहीं, दिल अब तेरे रडार से बाहर निकल गया।”
अभिश्रेष्ठ तिवारी लखनवी ने शायरी में इश्क़ की नजाकत को समेटा:
“जिस तस्वीर में आपके आशिक सारे थे, गौर से देखो, हम भी वहीं किनारे थे।”
साहब नारायण शर्मा ने माता-पिता और गुरु को समर्पित करते हुए कहा:
“मेरे सर पर सदा हाथ माँ-बाप का, गुरु के चरणों में हूँ, मैं अभागा नहीं।”
युवा शायर अलहाज गोण्डवी ने फनकारी की गहरी परिभाषा दी: “चंद सिक्कों की एवज जो बंद करते हैं जुबां, कुछ भी हो सकते हैं, फनकार नहीं हो सकते।”
इसके अलावा, डॉ नीता सिंह ‘नवल’, सत्यम् रौशन लखनवी, अभिषेक श्रीवास्तव और शिवम् मिश्रा ने भी अपनी-अपनी रचनाओं से श्रोताओं का मन मोह लिया।
कार्यक्रम में सेवानिवृत्त प्रधानाचार्या मालती सिंह, मंडल अध्यक्ष वीर विक्रम सिंह, डॉ महमूद आलम, मसूद आलम, पीपी यादव, प्रो. आरबी सिंह बघेल, अविनाश सिंह, जसपाल सलूजा, उस्मान अंसारी, प्रमोद नन्दन श्रीवास्तव, समरा फारुकी, फुज़ैल फारुकी, रेनू अग्रवाल, आनंद वर्मा, शिप्रा सिंह, मु० कैफ (मुशायरा मीडिया) सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी और आमजन मौजूद रहे।। गोण्डा से प्रदीप पांडेय की रिपोर्ट।।