गौतमबुद्ध नगर :
पश्चिमी UP के किसानों का नया संगठन,अब नई राह पर हक की लड़ाई।
दो टूक : गौतमबुद्धनगर जनपद के नोएडा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने अब अपनी आवाज़ को और बुलंद करने के लिए एक नया संगठन बना लिया है। बदलते राजनीतिक और सामाजिक माहौल में किसानों ने यह कदम अपने अधिकारों की लड़ाई को एक नई दिशा देने के लिए उठाया है।
नोएडा मीडिया क्लब में सोमवार को एक नए किसान संगठन का गठन किया गया, जिसको लेकर संगठन के पदाधिकारी द्वारा एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया, प्रेस वार्ता के दौरान भारतीय किसान यूनियन (अराजनीतिक मंच) नए संगठन की घोषणा की गयी, जो पूरी तरह से गैर-राजनीतिक होने का दावा करता है, संगठन का मकसद है — न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी, गन्ना भुगतान में पारदर्शिता, सिंचाई के संसाधनों की उपलब्धता,और किसानों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित कराना सहित अनेको समस्याओं को लेकर साथ संघर्ष करेंगे ।।
'पुराने वादे, अधूरे इरादे' से तंग आ चुके किसान
भारतीय किसान यूनियन (अराजनीतिक मंच) के संयोजक, वरिष्ठ किसान नेता चौधरी राजवीर सिंह ने बताया, "हम अब किसी पुराने झंडे के नीचे नहीं, बल्कि अपने खुद के बैनर तले हक की लड़ाई लड़ेंगे। राजनीतिक दलों ने हमें सिर्फ चुनावी मुद्दा बनाया है, अब समय है कि हम खुद अपनी ताकत बनें।"
नए संगठन के प्रमुख बिंदु:
MSP पर कानून की मांग
समय पर गन्ना भुगतान
बिजली और पानी की सुचारु आपूर्ति
किसान परिवारों के लिए बीमा और पेंशन योजना
युवा किसानों के लिए प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग !!
नए पदाधिकारीयो की घोषणा
प्रेस वार्ता के दौरान ही संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष समेत नए पदाधिकारी की घोषणा की गई, इस दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी राजवीर सिंह, वरिष्ठ उपाध्यक्ष जीवन सिंह नागर, राष्ट्रीय महासचिव विनोद कुमार जटोली, राष्ट्रीय कार्यालय मंत्री पंडित रामकुमार शर्मा, राष्ट्रीय प्रवक्ता दिनेश शर्मा , प्रकाश प्रधान सिरसा राष्ट्रीय सचिव ,जिला अध्यक्ष गौतम बुद्ध नगर सुनील दायमा, विभोर शर्मा एनसीआर अध्यक्ष, चौधरी विनोद, अक्षय त्यागी जिला अध्यक्ष मुजफ्फरनगर ,चौधरी वीरेंद्र सिंह ,अंकित चौधरी, प्रवीण शर्मा, गोपी कश्यप ,मनोज तेवतिया, विजय भारद्वाज आदि मौजूद रहे ।।
चौधरी राजवीर सिंह ने बताया की विगत 16 जून को जनपद मेरठ मेंआयोजित किसान पंचायत में लिए गए निर्णय के अनुसार प्रस्तावित भारतीय किसान यूनियन (अराजनीतिक मंच) की घोषणा की है, किसानों के घर-घर जाकर उनकी हक की लड़ाई के लिए जागरूक कर एक बड़ा किसान सम्मेलन आयोजित किया जाएगा, जहां हजारों किसान शामिल होकर आगामी रणनीति पर फैसला करेंगे।
क्या यह नया संगठन बदलाव ला पाएगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह संगठन सच में गैर-राजनीतिक और जमीनी मुद्दों पर केंद्रित रहता है, तो यह क्षेत्रीय किसान आंदोलनों की दशा और दिशा दोनों बदल सकता है।।