मंगलवार, 16 दिसंबर 2025

सुल्तानपुर:सर्वेश कान्त वर्मा ने उन्नीस पाठ्य पुस्तकें लिख कर जनपद का बढ़ाया मान।।||Sultanpur:Sarvesh Kant Verma has brought honor to the district by writing nineteen textbooks.||

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सुल्तानपुर:
सर्वेश कान्त वर्मा ने उन्नीस पाठ्य पुस्तकें लिख कर जनपद का बढ़ाया मान।।
दो टूक : सुलतानपुर: सर्वेश कान्त वर्मा सरल निवासी बनमई,वैदहा,जयसिंहपुर सुलतानपुर ने मात्र 38 वर्ष की अवस्था में हिंदी के उत्थान में अनुपम योगदान देते हुए एक बार फिर से जनपद को गौरवान्वित किया है। अभी तक इनकी नगीन प्रकाशन मेरठ के सौजन्य से कक्षा 1 लेकर कक्षा 12 तक कुल 19 पाठ्य-पुस्तकें प्रकाशित होकर विद्यार्थियों के अध्ययन हेतु पुस्तक भंडार, अमेजॉन, फ्लिपकार्ट एवं कॉपी किताब डाट काम पर उपलब्ध हैं।
      प्रकृति प्रदत्त कहें या फिर विरासत में मिले हिंदी ज्ञान को शिक्षक सर्वेश कान्त वर्मा सरल  शिक्षक रामरती इंटर कालेज द्वारिकागंज सुलतानपुर दिन प्रतिदिन हिंदी के पाठ्यक्रम लिखकर एक नया इतिहास गढ़ते जा रहे हैं। इनके पिता स्व० राम बुझारत वर्मा किंशुक भी हिंदी के शिक्षक रह चुके हैं। इनका प्रिय विषय हिंदी रहा है। पिता के दिशा-निर्देश और माता जानकी देवी के आशीर्वाद तथा धर्मपत्नी मुद्रिका वर्मा के सहयोग ने इन्हें इस पायदान पर लाके खड़ा कर दिया है। अभी हाल में आईसीएसई बोर्ड की दिव्य ज्ञान हिंदी पाठ्य-पुस्तक के नाम से कक्षा 1 से 8 तक कुल 8 पुस्तकें और सीबीएसई बोर्ड की संधान हिंदी व्याकरण के नाम से कक्षा 1 से 5 तक कुल 5 पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। यूपी बोर्ड की  हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में इनकी 6 पुस्तकें पहले से पढ़ाई जा रही हैं। इस प्रकार इनके द्वारा लिखित विद्याध्ययन की कुल 19 पुस्तकें नगीन प्रकाशन के सौजन्य से शुलभ हैं । इनके द्वारा लिखी पाठ्य पुस्तकें शिक्षकों और विद्यार्थियों द्वारा सराही जा रही हैं। इनके द्वारा लिखे आईसीएसई बोर्ड की सरल हिंदी व्याकरण 9 और 10 में  11 कहानियां और कई पद्य सम्मिलित है। स्वभाव से सरल सर्वेश विद्यार्थियों में प्रतिभाओं को उभारने में जरा भी कोर-कसर नहीं छोड़ते। प्रख्यात मंच संचालक सर्वेश बच्चों की रुचि अनुसार अतिरिक्त नि:शुल्क क्लास भी लेते हैं। नशा उन्मूलन की दिशा में भी सम्पर्क में आने वालों का उचित मार्गदर्शन किया करते हैं। बच्चों के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखते हुए ये खेल प्रतियोगिताओं में विशेष रुचि लेते हैं। इनसे अविभावक,विद्यार्थी, शिक्षक सभी संतुष्ट रहते हैं। सर्वेश कान्त वर्मा ने बताया कि मौका लगता रहा तो पाठ्यक्रम पर अपनी कलम चलाने का पुण्यकर्म करते रहेंगे। हिंदी प्रचार-प्रसार की दिशा में एक अहम् योगदान दिया है। इनकी रचनाएं देश अतिरिक्त अमेरिका ऑस्ट्रेलिया बांग्लादेश तथा नेपाल के पत्र पत्रिकाओं में छपती रही हैं। इनके द्वारा रचित खंडकाव्य 'शून्य से संवाद'प्रकाशित हो चुका है। भाव वाटिका, अनामिका स्वर, शिक्षाप्रद कहानियां, सरल कहानियां आदि साझा संकलनों का संपादन कर चुके हैं। शब्द - शब्द विज्ञान निबंध संग्रह अभी अप्रकाशित है। देश विदेश की कई सम्मानित साहित्यिक संस्थाओं ने इन्हें सम्मानित किया है। महत्वपूर्ण मंचों पर इन्हें आमंत्रित किया जा चुका है और काव्यपाठ एवं साहित्यिक वक्तव्य का अवसर मिला है। दूरदर्शन लखनऊ (डीडीयूपी) पर भी काव्यपाठ कर चुके हैं। सर्वेश कान्त वर्मा सरल जैसे विद्वानों का होना जनपद के लिए गौरव की बात है।
इस उपलब्धि के लिए आशुकवि मथुरा प्रसाद सिंह जटायु, डॉ. ओंकार नाथ द्विवेदी, डॉ. आद्या प्रसाद सिंह प्रदीप, डॉ राम प्यारे प्रजापति, दिनेश प्रताप सिंह चित्रेश,पवन सिंह, ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि, कांति सिंह,राज बहादुर राना, अनिल कुमार वर्मा मधुर, बृजेश वर्मा, रमेश चंद्र नंदवंशी जैसे साहित्यकार एवं शिक्षक वर्ग तथा भूपेंद्र नाथ वर्मा प्रबंधक रामरती काँलेज ने प्रसंशा करते हुए बधाई दिया।