लखनऊ :
बालिका विद्यालय में वीर बाल दिवस पर पोस्टर प्रतियोगिताएं हुईं आयोजित।।
●वीर बाल दिवस राष्ट्रभक्ति और मानवीय मूल्यों के पुनर्जागरण का पर्व : डॉ लीना मिश्र।।
दो टूक : राजधानी लखनऊ के बालिका विद्यालय इंटरमीडिएट कॉलेज, मोती नगर मे शुक्रवार को वीर बाल दिवस के अवसर पर नोडल शिक्षिका ऋचा अवस्थी के निर्देशन में विविध प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ जिसमें मुख्य रूप से कविता लेखन और पोस्टर प्रतियोगिताएं हुईं। आज के विशेष दिन के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए विद्यालय की प्रधानाचार्य डॉ लीना मिश्र ने कहा कि भारत की इतिहास-परंपरा केवल राजाओं और युद्धों की कथा नहीं है, बल्कि उन वीर बालकों की भी अमर कहानी है जिन्होंने अत्याचार के सामने झुकने के बजाय सत्य, धर्म और आत्मसम्मान के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। वीर बाल दिवस, जो प्रतिवर्ष 26 दिसंबर को मनाया जाता है, ऐसे ही अद्वितीय साहस और अटूट आस्था का प्रतीक है। यह दिवस सिखों के दसवें गुरु, श्री गुरु गोविन्द सिंह जी के छोटे साहिबजादों साहिबजादा बाबा जोरावर सिंह जी और साहिबजादा बाबा फतेह सिंह जी के अतुलनीय बलिदान को स्मरण करने हेतु समर्पित है। मुगल शासक वज़ीर ख़ान द्वारा इस्लाम धर्म स्वीकार करने का दबाव डाला गया किंतु मात्र नौ और सात वर्ष की अल्पायु में भी इन बाल वीरों ने धर्म, सत्य और आत्मगौरव से समझौता करने से स्पष्ट इनकार कर दिया। परिणामस्वरूप उन्हें दीवार में ज़िंदा चुनवा दिया गया। यह घटना केवल एक ऐतिहासिक प्रसंग नहीं, बल्कि मानव इतिहास में नैतिक साहस की सर्वोच्च मिसाल है। वीर बाल दिवस हमें यह सिखाता है कि वीरता आयु की मोहताज नहीं होती। साहिबजादों का बलिदान यह प्रमाणित करता है कि सच्ची शक्ति शारीरिक बल में नहीं, बल्कि विचारों की दृढ़ता और मूल्यों की अडिगता में निहित होती है। उन्होंने भय, प्रलोभन और पीड़ा तीनों पर विजय प्राप्त कर यह दिखा दिया कि धर्म की रक्षा के लिए जीवन का त्याग भी एक गौरवपूर्ण विकल्प हो सकता है। आज के भौतिक और प्रतिस्पर्धात्मक युग में, जहाँ नैतिक मूल्य अक्सर सुविधा के अधीन हो जाते हैं, वीर बाल दिवस हमें आत्ममंथन का अवसर देता है। यह दिवस युवाओं को प्रेरित करता है कि वे अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाएँ, सत्य के मार्ग पर अडिग रहें और राष्ट्र व समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को समझें। यह केवल अतीत का स्मरण नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य के लिए नैतिक दिशा-सूचक है। अतः वीर बाल दिवस केवल श्रद्धांजलि का दिवस नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण, राष्ट्रभक्ति और मानवीय मूल्यों के पुनर्जागरण का पर्व है। साहिबजादों का बलिदान युगों-युगों तक हमें यह संदेश देता रहेगा कि जब आस्था और आत्मसम्मान दाँव पर हों, तब वीरता ही मानवता की सच्ची पहचान बनती है। इस दिवस का आयोजन सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी के पुत्रों को सम्मान देने के लिए होता है। कार्यक्रम के आयोजन में माधवी सिंह और रीतू सिंह उपस्थित रहीं। पोस्टर प्रतियोगिता में शालिनी पाल, मुस्कान कन्नौजिया और कुमकुम क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पर रहीं तथा कविता लेखन में सफ़ीना, चंचल और सना क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पर रहीं। विजयी छात्राओं को पुरस्कृत किया गया।
