गौतमबुद्धनगर: किसान आंदोलन की पाँचवीं वर्षगाँठ पर ग्रेटर नोएडा में जबरदस्त प्रदर्शन, राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा!!
अशोक भाटी ने किया नेतृत्व — 22 दिसंबर किसान महापंचायत को सफल बनाने का आह्वान!!
दो टूक:: ग्रेटर नोएडा, 26 नवंबर 2025
दिल्ली की सीमाओं पर चले ऐतिहासिक किसान आंदोलन को पाँच वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर संयुक्त किसान मोर्चा एवं भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय आह्वान पर आज देशभर में जिला मुख्यालयों पर किसान एकजुट होकर सड़कों पर उतरे। इसी क्रम में ग्रेटर नोएडा सदर तहसील पर एक विशाल किसान प्रदर्शन व पंचायत का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों किसानों ने भाग लिया।
कार्यक्रम का नेतृत्व भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष नोएडा, प्रखर किसान नेता व संघर्षशील युवा किसान अधिकारों के मुखर स्वर — श्री अशोक भाटी ने किया, जो लंबे समय से क्षेत्र के किसानों की आवाज़ बुलंद करते हुए उनके अधिकारों के लिए निरंतर संघर्षरत हैं। किसानों के बीच अपनी सरलता, पारदर्शी नेतृत्व और निष्पक्ष संगठनात्मक क्षमता के कारण वे विशेष सम्मान व लोकप्रियता रखते हैं। कृषि कानूनों के विरोध के दौरान उनके नेतृत्व में हजारों किसानों ने एकजुटता दिखाते हुए आंदोलन को मजबूत संदेश दिया था।
दादरी जिला अध्यक्ष मनोज मावी ने सहनेतृत्व किया।
पंचायत की अध्यक्षता चौधरी राजेंद्र भाटी ने की तथा संचालन नवीन कसाना ने संभाला।
सरकार से लिखित वादों पर अमल न करने का आरोप, आंदोलन तेज करने की चेतावनी
वक्ताओं ने कहा कि सरकार ने 9 दिसंबर 2021 को SKM के साथ लिखित समझौता कर MSP@C2+50% कानून, मामले वापस लेने, किसानों पर दर्ज मुकदमों की समाप्ति और शहीद किसानों के परिवारों को सम्मान व मुआवजा देने का वादा किया था, लेकिन चार वर्षों में भी एक भी वादा पूरा न होने पर किसान खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
सभा में घोषणा की गई कि:
➡ 22 दिसंबर को यमुना एक्सप्रेसवे जीरो प्वाइंट से आगरा तक ‘किसान महापंचायत’ का भव्य आयोजन
➡ 9 दिसंबर को सदर तहसील पर अगली पंचायत, आंदोलन तेज करने की रणनीति तैयार
प्रदर्शन के उपरांत क्षेत्रीय समस्याओं व राष्ट्रीय मांगों से संबंधित ज्ञापन तहसीलदार ओमप्रकाश पासवान एवं नायब तहसीलदार रामकिशन को सौंपा गया।
राष्ट्रपति महोदया को भेजा गया ज्ञापन – किसानों की 10 मुख्य मांगें
माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को भेजे ज्ञापन में कहा गया कि:
- MSP कानून के अभाव में किसान अपनी फसल औने–पौने दाम पर बेचने को मजबूर हैं।
- कॉर्पोरेट कंपनियों को 16.41 लाख करोड़ की ऋण माफी दी गई, पर किसानों को एक भी रुपया राहत नहीं।
- उर्वरक सब्सिडी में 84000 करोड़ की कटौती, DAP व यूरिया की काली कमाई जारी।
- श्रम संहिता, बिजली बिल 2025, बीज विधेयक 2025 और निजीकरण विरोधी नीतियों पर तत्काल रोक।
किसानों ने कहा कि यदि सरकार ने वार्ता शुरू नहीं की तो लंबा शांतिपूर्ण संघर्ष व बड़े राष्ट्रीय आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
मुख्य मांगें
- MSP@C2+50% गारंटी कानून तुरंत लागू किया जाए, सभी मंडियाँ सक्रिय हों, नमी सीमा बढ़ाकर 22% की जाए।
- किसानों व मजदूरों का व्यापक ऋण माफी, ब्याज-मुक्त ऋण।
- बिजली बिल 2025 वापसी, खेती के लिए मुफ्त बिजली, स्मार्ट मीटर बंद।
- चार श्रम संहिताओं की वापसी, न्यूनतम वेतन 26000 व पेंशन 10000।
- मनरेगा 200 दिन का काम और 700 रुपये दैनिक मजदूरी।
- किसानों के हित विरोधी FTA रोक, कपास पर 11% शुल्क बहाल।
- उर्वरक सब्सिडी बहाल, काला बाज़ारी रोकें।
- बाढ़ व आपदा प्रभावित किसानों को मुआवजा।
- भूमि अधिग्रहण बंद, LARR 2013 लागू।
- राज्यों के वित्तीय अधिकार बहाल, कृषि आधारित उद्योग को बढ़ावा।
अशोक भाटी – किसानों की आवाज़
किसान नेता अशोक भाटी ने कहा—
“जब तक हर किसान को फसल का पूरा मूल्य नहीं मिलेगा, जब तक ग्रामीण मजदूरों को सम्मानजनक मजदूरी और युवा पीढ़ी को रोजगार नहीं मिलेगा, तब तक यह संघर्ष रुकेगा नहीं। सरकार की चुप्पी किसानों के धैर्य की परीक्षा ले रही है, लेकिन किसान झुकने वाले नहीं — अब निर्णायक आंदोलन का समय है।”
मौजूद प्रमुख किसान नेता
मोहम्मद फुरकान, सिंहराज गुर्जर, विजेंद्र भड़ाना, कालूराम भाटी, यादराम नेताजी, विनोद अधाना, धर्मवीर भाटी, मनवीर भाटी, अरुण भाटी, प्रदीप मावी, कर्मवीर मावी, सुमित कसाना, जगत अवाना, सचिन अवाना असगरपुर, कंवर सिंह, विपिन तंवर, आजाद सैफी, प्रमोद मावी सहित भारी संख्या में किसान मौजूद रहे।।
