सुल्तानपुर :
भगवान राम को वेदांत दर्शन से ही जाना जा सकता है : रामभद्राचार्य।।
दो टूक : भारत के पांचों दर्शन पूर्व पक्ष और वेदांत दर्शन उत्तर पक्ष है । भगवान को यदि पाना है तो वेदांत की शरण लेनी पड़ेगी। भगवान राम को वेदांत दर्शन से ही जाना जा सकता है। जो सबको रमा दे वही राम हैं। यह बातें चित्रकूट तुलसी पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य ने कहीं।
वह विजेथुआ महोत्सव के तीसरे दिन वाल्मीकि रामायण कथा सुना रहे थे। उन्होंने बताया जिनसे सबका मरण हो वही राम हैं। जाहे जो भी काल हो हर काल में राम राक्षसों का नाश करते हैं। कहा कि मैं त्रिदण्डी साधू हूं । त्रिदण्डी संयासी भिक्षु होते हैं लेकिन संसार से कोई भिक्षा नहीं मांगते । हम सीतापति भगवान राम और हनुमान से भीख मांगते हैं । कहा कि जो मेरी आलोचना करते हैं वे सुन लें। मैं चमत्कार के लिए या भोली भाली जनता को बरगलाने के लिए बाबा नहीं बना । मैं भारतीय वैदिक संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए साधू बना । मैं किसी की निंदा नहीं करता। लोग निंदा शब्द का अर्थ ही नहीं जानते। दोष न रहने पर भी जब दोष कहा जाय उसे निंदा कहते हैं। मैं तब बोलता हूं जब लोग सनातन परम्परा पर आघात करते हैं। इसलिए यह निंदा नहीं है।
उन्होंने कहा वाल्मीकि रामायण बताता है कि परमात्मा सभी गुणों से युक्त है। दशरथ के चार पुत्र ब्रह्म सूत्र के चार अध्याय हैं। भगवान राम पूर्ण हैं। बालक राम सबको रमा दे रहे हैं। संसार में ऐसा कोई नहीं जिसको राम ने नचाया न हो । रावण ने भी चैत्र रामनवमी को लंका में मांसाहार व मदिरा पर प्रतिबंध लगा दिया था ।
उन्होंने राघव जी हमार महाराज होइहैं , राजाधिराज होइहैं हों तथा राजा दशरथ के अंगनवा खेलैं चारों ललनवा , राम लखन भरत शत्रुघ्नवां झूलैं कंचन पलनवा , सोहर गाकर राम जन्म की बधाई दी।
आयोजक विवेक तिवारी ने सपत्नीक व्यासपीठ का पूजन किया। इस अवसर पर प्रमोद मिश्र मुन्ना, डॉ आद्या प्रसाद सिंह प्रदीप, सुशील त्रिपाठी, घनश्याम चौहान, पवन कुमार सिंह समेत अनेक प्रमुख व्यक्ति उपस्थित रहे।