गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025

शादी का झांसा देकर रेप और वीडियो प्रसारण मामले में हाईकोर्ट सख्त, प्रयागराज पुलिस कमिश्नर को हलफनामा दाखिल करने का आदेश!!

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शादी का झांसा देकर रेप और वीडियो प्रसारण मामले में हाईकोर्ट सख्त, प्रयागराज पुलिस कमिश्नर को हलफनामा दाखिल करने का आदेश!!

!!वरिष्ठ संवाददाता देव गुर्जर!!

दो टूक :: प्रयागराज।
शादी का झांसा देकर रेप और पीड़िता का वीडियो बनाकर प्रसारित करने के गंभीर मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। न्यायमूर्ति अजय भनोट और न्यायमूर्ति गरिमा प्रसाद की खंडपीठ ने प्रयागराज के पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया है कि वे अगली सुनवाई तक वीडियो पुनः प्राप्त करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण देते हुए एक व्यक्तिगत हलफनामा (affidavit) दाखिल करें।

यह आदेश झूसी निवासी विनोद मिश्रा, मालिक पुरुषोत्तम पैथोलॉजी, द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसमें उन्होंने शादी का झांसा देकर रेप के आरोप में अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की थी। अदालत ने याची को किसी भी प्रकार की राहत देने से साफ इंकार कर दिया है।


पीड़िता ने लगाए गंभीर आरोप

पीड़िता की ओर से अधिवक्ता सुनील चौधरी ने अदालत को बताया कि पीड़िता अपने पति से विवाद के चलते झूसी में मायके में रह रही थी और याची के पैथोलॉजी लैब में नौकरी करती थी। इसी दौरान विनोद मिश्रा ने उसे प्यार का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाए, फिर उसका अश्लील वीडियो हिडन कैमरे से रिकॉर्ड कर ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया।

पीड़िता के अनुसार, याची ने अपने मित्र विवेक दिवेदी (जिला प्रोबेशन अधिकारी, प्रयागराज) की मदद से उस पर दबाव बनाया और बार-बार शोषण किया। मना करने पर उसने पीड़िता और उसके पति को वीडियो भेजने की धमकी दी।


एफआईआर दर्ज कराने के लिए भटकी रही पीड़िता

पीड़िता का आरोप है कि झूसी थाना प्रभारी महेश मिश्रा, जो कि आरोपी के रिश्तेदार बताए गए, ने कई बार शिकायत करने के बावजूद एफआईआर दर्ज नहीं की। बाद में उच्च अधिकारियों से शिकायत करने पर कई महीनों बाद मामला दर्ज हुआ।

याची ने पीड़िता के पति को अश्लील वीडियो भेजकर उसका दांपत्य जीवन भी बर्बाद कर दिया। उसने यहां तक कहा कि “मुझे थाने के सारे दांव-पेच पता हैं, मेरा दोस्त विवेक दिवेदी है, मुझे कोई कुछ नहीं कर सकता।”


जांच पर उठे सवाल, कोर्ट ने मांगा हलफनामा

हाईकोर्ट ने विवेचना अधिकारी की जांच पर असंतोष जताते हुए कहा कि रिपोर्ट में अश्लील वीडियो बनाने और प्रसारित करने के लिए इस्तेमाल किए गए उपकरणों की बरामदगी का कोई उल्लेख नहीं है। अदालत ने इसे गंभीर चूक माना।

न्यायालय ने पुलिस कमिश्नर प्रयागराज को निर्देश दिया कि वे वीडियो की रिकवरी से जुड़ी सभी कार्यवाही का ब्यौरा देते हुए व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करें। साथ ही, अपर शासकीय अधिवक्ता और पीड़िता पक्ष के अधिवक्ता को भी प्रति-शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया गया।

मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर 2025 को नियत की गई है।।