सोमवार, 6 अक्टूबर 2025

“सीजेआई पर जूता फेंकना पीएम मोदी की साजिश” — भीमसेना प्रमुख सतपाल तंवर का सनसनीखेज आरोप!!

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 “सीजेआई पर जूता फेंकना पीएम मोदी की साजिश” — भीमसेना प्रमुख सतपाल तंवर का सनसनीखेज आरोप!!

 !!वरिष्ठ संवाददाता देव गुर्जर!!

“यह सिर्फ एक जूता नहीं, 145 करोड़ भारतवासियों और संविधान पर मनुवादी व्यवस्था का हमला”

दो टूक :: गुरुग्राम, 6 अक्टूबर 2025।
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई पर जूता फेंकने की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। अब यह मामला महज़ अदालत की सुरक्षा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि राजनीतिक और जातीय विवाद का केंद्र बन गया है।
इस बीच, भीमसेना प्रमुख नवाब सतपाल तंवर ने इस घटना को “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की सुनियोजित साजिश” करार देकर नया तूफ़ान खड़ा कर दिया है।

🔹 सुप्रीम कोर्ट में अभूतपूर्व घटना

सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट नंबर-1 में सुनवाई चल रही थी, तभी 60 वर्षीय वकील राकेश किशोर अचानक “सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान” के नारे लगाते हुए सीजेआई की ओर जूता फेंकने की कोशिश की।
सुरक्षा कर्मियों ने तुरंत उसे काबू में कर लिया, हालांकि जूता बेंच तक नहीं पहुंचा।
सीजेआई गवई ने पूरी शालीनता के साथ कहा —

“ये चीजें मुझे प्रभावित नहीं करतीं।”

घटना के बाद अदालत में कुछ देर के लिए अफरा-तफरी का माहौल रहा। दिल्ली पुलिस ने वकील को हिरासत में लेकर पूछताछ की और बाद में रिहा कर दिया, जबकि दिल्ली बार काउंसिल ने उसका प्रैक्टिस लाइसेंस तत्काल निलंबित कर दिया।

🔹 “दलित सीजेआई बर्दाश्त नहीं कर पा रही मनुवादी सोच” — तंवर

गुरुग्राम में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए भीमसेना प्रमुख नवाब सतपाल तंवर ने तीखा बयान दिया। उन्होंने कहा —

“यह सिर्फ जूता फेंकने की घटना नहीं, बल्कि लोकतंत्र, संविधान और 145 करोड़ भारतवासियों पर हमला है। मनुवादी व्यवस्था यह बर्दाश्त नहीं कर पा रही कि एक दलित, अंबेडकरवादी परिवार का बेटा देश का मुख्य न्यायाधीश बने।”

तंवर ने आगे कहा,

“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और मोहन भागवत की मिलीभगत से यह साजिश रची गई। दलित समाज की उन्नति और न्यायपालिका में बराबरी की आवाज इन ताकतों को खटक रही है।”

🔹 सुप्रीम कोर्ट के आदेशों से जुड़ी साजिश?

भीमसेना प्रमुख ने आरोप लगाया कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा योगी सरकार के बुलडोजर अभियान पर रोक और खजुराहो मंदिर विवाद पर सीजेआई की टिप्पणी से कुछ “कट्टरपंथी ताकतें” नाराज थीं।
उन्होंने कहा, “सीजेआई गवई ने धर्म और राजनीति के बीच की रेखा को स्पष्ट किया, इसलिए उन पर हमला हुआ।

तंवर ने यह भी जोड़ा कि सीजेआई की माता ने आरएसएस के एक कार्यक्रम में जाने से इंकार किया था, जिससे गवई परिवार अंबेडकरवादी परंपरा का प्रतीक बन गया — “शायद यह हमला उसी विचारधारा के खिलाफ बदले की कार्रवाई है।”

🔹 कठोर कार्रवाई की मांग

तंवर ने आरोपी वकील राकेश किशोर के खिलाफ देशद्रोह, एससी/एसटी एक्ट, अदालत की अवमानना और हत्या के प्रयास जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने की मांग की।
उन्होंने दलित समाज से एकजुट होकर आवाज उठाने का आह्वान किया —

“यह हमला सीजेआई पर नहीं, बल्कि डॉ. भीमराव अंबेडकर के संविधान पर हमला है। अगर आज नहीं बोले, तो कल न्याय की आवाज़ दबा दी जाएगी।”

🔹 राजनीतिक भूचाल

घटना ने पूरे देश की राजनीति में हलचल मचा दी है।

  • कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने इसे “न्यायपालिका और संविधान पर हमला” बताया।
  • भाजपा ने सतपाल तंवर के आरोपों को “तुष्टिकरण की राजनीति” करार दिया।
  • सोशल मीडिया पर #JusticeForGavai, #AttackOnConstitution और #ManuvadiConspiracy जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।

🔹 सीजेआई का संतुलित रुख

दिनभर की अफवाहों के बीच सीजेआई भूषण गवई ने शाम को कहा,

“मेरी टिप्पणियां किसी धर्म या आस्था को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं थीं। न्यायपालिका सभी धर्मों, जातियों और विचारों का समान सम्मान करती है।”

🔹 सवालों के घेरे में सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा

सुप्रीम कोर्ट जैसी हाई सिक्योरिटी जगह में जेड+ सुरक्षा प्राप्त मुख्य न्यायाधीश तक जूता फेंके जाने की कोशिश ने सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच शुरू कर दी है।

🔹 निष्कर्ष

यह घटना अब केवल अदालत की नहीं, बल्कि देश के लोकतंत्र, सामाजिक सौहार्द और न्यायिक गरिमा की परीक्षा बन चुकी है।
भीमसेना प्रमुख के आरोपों ने इसे राजनीतिक, जातीय और वैचारिक टकराव का रूप दे दिया है।
अब देश की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि —
क्या यह घटना महज़ एक अराजक हरकत थी या किसी गहरी साजिश की शुरुआत?