डिजिटल अरेस्ट गैंग का भंडाफोड़: साइबर क्राइम पुलिस ने 40 लाख की ठगी करने वाले गिरोह के सदस्य को पकड़ा!!
हरियाणा के पानीपत से आरोपी गिरफ्तार, डिजिटल जांच के नाम पर किया गया था बड़ा साइबर फ्रॉड
दो टूक :: नोएडा। थाना साइबर क्राइम पुलिस की टीम ने डिजिटल अरेस्ट कर ठगी करने वाले एक अंतरराज्यीय साइबर गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने इस गैंग के एक सक्रिय सदस्य राकेश पुत्र पवन कुमार को हरियाणा के पानीपत से गिरफ्तार किया है। आरोपी ने अपने साथी के साथ मिलकर ग्रेटर नोएडा निवासी एक व्यक्ति को झांसे में लेकर 40 लाख रुपये की ठगी की थी।
डिजिटल जांच के नाम पर कराया था 40 लाख का ट्रांसफर
21 अगस्त 2025 को ग्रेटर नोएडा निवासी एक व्यक्ति ने थाना साइबर क्राइम, नोएडा में मुकदमा दर्ज कराया था। शिकायतकर्ता के अनुसार, कुछ लोगों ने खुद को पुलिस अधिकारी बताते हुए उन्हें “डिजिटल अरेस्ट” किया और जांच के नाम पर उनके खाते से 40 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए।
पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए ठगी से जुड़े बैंक खातों को तत्काल फ्रीज कराया और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य जुटाने के बाद आरोपियों तक पहुंच बनाई।
पूछताछ में खुलासे
गिरफ्तार अभियुक्त राकेश ने पूछताछ में बताया कि वह पानीपत में प्राइवेट नौकरी करता है, जहां उसकी पहचान साइबर अपराध में लिप्त एक अन्य आरोपी करन से हुई थी। दोनों ने मिलकर इस ठगी में करीब 4.98 लाख रुपये की नकद निकासी की और कमीशन के रूप में आपस में बांट लिए।
अभियुक्त ने यह भी स्वीकार किया कि वह अन्य साइबर अपराधियों को म्यूल बैंक खाते उपलब्ध कराता था। उसका साथी करन वर्तमान में करनाल जिला कारागार, हरियाणा में निरुद्ध है, जिसके विरुद्ध आगे की विधिक कार्रवाई की जा रही है।
बरामदगी
पुलिस ने आरोपी के कब्जे से घटना में प्रयुक्त एक मोबाइल फोन बरामद किया है।
साइबर क्राइम पुलिस ने दिए जागरूकता सुझाव
पुलिस कमिश्नरेट गौतमबुद्धनगर ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी अज्ञात कॉल या वीडियो कॉल पर विश्वास न करें, विशेषकर जब सामने वाला व्यक्ति खुद को पुलिस या किसी सरकारी अधिकारी के रूप में पेश करे।
महत्वपूर्ण सुझाव:
- किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा पुलिस की वर्दी पहनकर की गई व्हाट्सएप कॉल पर भरोसा करने से पहले गूगल या संबंधित वेबसाइट पर नाम और पद की जांच करें।
- किसी भी संदिग्ध कॉल की सूचना तुरंत निकटतम साइबर सेल या थाने में दें।
- अगर कोई पार्सल, बैंक खाता या आधार कार्ड के नाम पर कॉल कर धमकाए, तो घबराएं नहीं, सत्यापन करें।
- अपने बैंक खाते या आधार से जुड़ी कोई भी जानकारी किसी अनजान व्यक्ति से साझा न करें।
- किसी भी कॉल पर अगर “पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट” या “मनी लॉन्ड्रिंग जांच” की बात हो तो समझें कि यह साइबर ठगी हो सकती है।
पुलिस कमिश्नरेट गौतमबुद्धनगर ने नागरिकों से आग्रह किया है कि यदि उन्हें किसी संदिग्ध ऑनलाइन गतिविधि का संदेह हो, तो तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 या www.cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें।