शनिवार, 27 सितंबर 2025

आजमगढ़ : SDM दफ्तर से न्यायिक दस्तावेज गायब,प्रशासन मौन।||Azamgarh: Judicial documents missing from SDM office, administration silent.||

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आजमगढ़ :
SDM दफ्तर से न्यायिक दस्तावेज गायब,प्रशासन मौन।।
◆पीडित तीन साल से तहसील व जिला अभिलेखागार का लगा रहा चक्कर।
दो टूक : आजमगढ़ जनपद के तहसील बूढ़नपुर एसडीएम दफ्तर से न्यायिक दस्तावेज गायब हो गया। तहसील प्रशासन और जिला अभिलेखागार माल पाल एक दूसरे के यहां न्यायिक दस्तावेज जमाकरने की बात बताया पीडित को लगभग तीन सालो दौड़ाया लटकाया ,भटकाया जा रहा है। उच्च अधिकारियों के यहाँ प्रार्थना पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई लेकिन किसी ने कोई कार्यवाही नही किया। सरकारी कर्मचारियों के फंसने से अधिकारी फल्ला झाड़ रहे है।दिलचस्प बात तो यह है
गयी। हैरानी की बात यह है कि प्रार्थी की पत्रावली अभी तक मिली ही नहीं।
विस्तार
मामला आजमगढ़ जनपद के बूढ़नपुर तहसील के एसडीएम दफ्तर का है मुकदमे से संबंधित एसडीएम के दफ्तर से न्यायिक पत्रावली ही गायब हो जा रही है। दिलचस्प बात तो यह है कि तहसील प्रशासन और अभिलेखागार तीन साल उक्त पत्रावली की तलाश कर रहा है पीएम व सीएम पोर्टल और आई जी आर एस पर भ्रामक रिपोर्ट लगाकर पल्ला झाड़ रहे है।
◆बताते चले कि पीड़ित दयाशंकर पुत्र शम्भू प्रसाद निवासी ग्राम व पोस्ट गहजी अहरौला बूढ़नपुर आजमगढ़ का मामला  सामने आया है। जिनके पिता शम्भू प्रसाद
की बस्ती बुजबल बाजार मे दो विस्वा जमीन है वाद संख्या 618 /2/2/1989 धारा 229 बी शम्भू प्रसाद बनाम विद्याधर ऊर्फ भगेलू अति०प्रथम न्यायालय आजमगढ़ की पत्रावली को डाक संख्या 8 दिनांक 8 / 7/ 2002 को मांग पत्र से जिला अभिलेखागार माल से तहसील बूढ़नपुर एसडीएम ने तलब किया था। जो आज तक जिला अभिलेखागार वापस नही पहुची। पीडित के द्वारा उक्त पत्रावली की तलाश किये जाने पर जनसूचना अधिकार से घटना क्रम का पता चला। जिला अभिलेखागार माल ने आरटीआई के तहत सूचना देते हुए बताया कि उक्त पत्रावली एसडीएम बूढ़नपुर मांग पत्र के माध्यम से 8/7/2002  मे एसडीएम बूढनपुर को प्रेषित की गई है जब एसडीएम बूढ़नपुर से जानकारी की गई तो बताया गया कि उपरोक्त पत्रावली 18/01/2010 को राजस्व जिला अभिलेखागार माल आजमगढ़ दाखिल दफ्तर की जा चुकी है। पुन : जब जिला अभिलेखगार माल को अवगत कराया तो वहां से बताया गया कि उक्त पत्रावली दफ्तर दाखिल होना नही पाया गया है। विपक्षीगण रेवती, आशोक ,दिनेश मोदनवाल, नीरज,योगेंद्र यादव ऊर्फ बाबू लाल निवासी बस्ती भुजबल अहरौला आजमगढ़ ने षडयंत्र के तहत उक्त न्यायालय की पत्रावली और लगे साक्ष्य गायब कर कीमती जमीन पर बने मकान को गिराकर अवैध कब्जा करने की कोशिश किया। साहब हाल तो यह है प्रशासनिक अधिकारियों का बता भी नहीं सके पत्रावली खुद उड़ गई या उड़ा दी गयी।हैरानी की बात यह है कि प्रार्थी की पत्रावली अभी तक मिली ही नहीं। खुद को शर्म तब आती है जब तीसरी बार भी न्याय मिलना मील का पत्थर साबित हो जाती है। मरता क्या न करता वही हाल है साहब तमाम साक्ष्यो को उपलब्ध कराने पर भी पीड़ित बार-बार प्रशासन के दरबार में गुहार लगाता घूम रहा है । आखिरकार साहब पीड़ित व आमजन के लिए चिंता का विषय नही है तो क्या है। देखने वाली बात यह है कि प्रार्थी को न्याय मिल पायेगा। देखना यह है कि आमजन व पीड़ित को साहब न्याय की कुर्सी पर बैठ कर न्याय दे पायेंगे या पीड़ित का न्याय से भरोसा उठ जायेगा। भरोसे की बात यह है कि शीर्ष अदालत के दरवाजे खुले है।
संलग्न जन सूचना अधिकार से मिले साक्ष्य।
◆जिला अभिलेखागार माल आजमगढ़ की छायाप्रति।
◆तहसील से दी गई जानकारी।
◆पुन: जिला अभिलेखागार माल आजमगढ़ की छायाप्रति।
ऐसे तमाम साक्ष्यों के होने के बावजूद तहसील और जिला प्रशासन मौन धारण कर अप्रिय घटना होने का इन्तजार कर रहा है।।