गुरुवार, 31 जुलाई 2025

सुल्तानपुर : साहित्यिकारो ने संत तुलसीदास और मुंशी प्रेमचन्द की मनाई जयंती।||Sultanpur : Literary persons celebrated the birth anniversary of Saint Tulsidas and Munshi Premchand.||

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सुल्तानपुर  : 
साहित्यिकारो ने संत तुलसीदास और मुंशी प्रेमचन्द की मनाई जयंती।
दो टूक : अखिल भारतीय साहित्य परिषद सुलतानपुर के तत्वावधान में आर०ए०बी०डी० स्पेक्ट्रम एकेडमी मूंगर जयसिंहपुर सुलतानपुर के प्रांगण में 31जुलाई 2025 गुरुवार को महाकवि गोस्वामी तुलसीदास और उपन्यास सम्राट एवं अनुपम कथाकार मुंशी प्रेमचंद की जयंती शिक्षक गणों और साहित्यकारों द्वारा उत्साह पूर्वक मनाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता लोक भूषण डॉ आद्या प्रसाद सिंह प्रदीप ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में साहित्यकार दिनेश प्रताप सिंह चित्रेश विशिष्ट अतिथि पूर्व प्रधानाचार्य डॉ राम प्यारे प्रजापति मंचासीन रहे।मंच का कुशल संचालन आशुकवि मथुरा प्रसाद सिंह जटायु ने किया। संयोजन प्रधानाचार्य आर के सिंह ने और व्यवस्था पंकज मिश्रा ने संभाला।
कार्यक्रम की शुरुआत मां शारदे की पूजा अर्चना के उपरांत राज बहादुर राना ने कजरी धुन में वाणी वंदना -जननी तुहैं निहारत बाउर भै नजरिया-प्रस्तुत किया। बृजेश वर्मा ने-आये बादल तुम न आए -पढ़कर विरह वर्णन किया। शिक्षिका प्रेमांजली देवी ने-कहैं तुलसी जी की नारी,सजन ससुरारी मां आइ गये -कजरी पढ़ा।शिक्षक अंश तिवारी ने तुलसी की जीवनी पर प्रकाश डाला।नफीसा खातून ने-नारी जीवन के उतार चढ़ाव पर व्याख्यान देते हुए -हे पवन बाअदब-पढा़। रमेशचंद्र नंदवंशी ने-जन्म प्रमाण पत्र बनवाय दा वकील से-मार्मिक कजरी तो कमल तिवारी कमल ने-सखि हो सावन के महिनवां और पंकज मिश्रा ने-पी से पिता पी से पत्नी पी सेपुत्र-पी की भूमिका में पढा़ एवं कवि हरिनाथ शुक्ल हरि ने-सन् अठारह सौ असी-दोहों से तुलसीदास व प्रेमचंद का गुणानवाद किया।पवन कुमार सिंह-कविवर तुलसीदास जी अतुलित विज्ञ सुजान -पढ़कर श्रेष्ठता को ऊंचाई दिया। अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त साहित्यकार, शिक्षक, पाठ्य पुस्तक लेखक ने प्रबंधक के तौर पर आये अतिथियों का सम्मान और स्वागत किया। प्रख्यात साहित्यकार डॉ राम प्यारे प्रजापति ने तुलसी और प्रेमचंद के व्यक्तित्व पर भावमय व्याख्यान दिया। राष्ट्रीय स्तर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार दिनेश प्रताप सिंह चित्रेश ने प्रेमचंद कृतित्व का मार्मिक चित्रण किया।अध्यक्षीय संबोधन में बहुमुखी लेखक प्रदीप ने तुलसी के जीवन के अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए काव्यपाठ कर समापन किया। इस मौके पर पूरे स्कूल प्रबंधन की गौरवमयी उपस्थिति रही।