शुक्रवार, 27 जून 2025

लखनऊ :तीन वर्षों से पेंशन और चिकित्सा से वंचित पत्रकार,अब सड़क पर उतरने को मजबूर।।||Lucknow: Journalists deprived of pension and medical treatment for three years, now forced to take to the streets.||

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लखनऊ :
तीन वर्षों से पेंशन और चिकित्सा से वंचित पत्रकार,अब सड़क पर उतरने को मजबूर।।
लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की अनसुनी पीड़ा, शासनादेशों के बावजूद नहीं मिल रहे अधिकार।
दो टूक :  उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति (पुनर्गठित) के तत्वावधान में आज लाल बहादुर शास्त्री भवन, एनेक्सी में एक आपातकालीन बैठक आयोजित की गई। बैठक में राज्य व जिला स्तर के मान्यता प्राप्त पत्रकारों की पेंशन, पीजीआई में चिकित्सीय सुविधा, और पत्रकार सुरक्षा कानून जैसे लंबित मुद्दों पर गंभीर चर्चा हुई।
बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर यह निर्णय लिया गया कि यदि आगामी 15 दिनों में प्रमुख सचिव सूचना व सूचना निदेशक द्वारा पत्रकारों के हित में ठोस कार्यवाही नहीं की जाती, तो सभी पत्रकार मुख्यमंत्री आवास, 5 कालिदास मार्ग, लखनऊ पर मौन प्रदर्शन करेंगे।
पत्रकारों ने बताया कि विगत तीन वर्षों से वे पेंशन और चिकित्सा जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं, जबकि संबंधित शासनादेश पहले ही जारी किए जा चुके हैं। विभागीय उदासीनता अब गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है।
प्रमुख मांगे इस प्रकार हैं
राज्य मुख्यालय व जिला स्तर पर मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए पेंशन योजना को तत्काल लागू किया जाए।
पत्रकारों को आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत आर्थिक सहायता सुनिश्चित की जाए ताकि उन्हें समय पर चिकित्सीय लाभ मिल सके।
फील्ड में कार्यरत पत्रकारों की सुरक्षा के लिए विशेष कानून बनाया जाए।
शासनादेशों के क्रियान्वयन में हो रही देरी पर त्वरित कार्यवाही की जाए।
संयोजक प्रभात त्रिपाठी ने कहा, हमने शासन को कई बार ज्ञापन सौंपा, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन मिला। अब समस्याओं का समाधान कागजों से नहीं, धरातल पर चाहिए। प्रभात त्रिपाठी ने अधिकारियों को सीधी चेतावनी देते हुए कहा कि अगर 15 दिनों के अंदर पत्रकारों के हितों में दिए गए ज्ञापन पर कार्रवाई नहीं हुई तो मुख्यमंत्री के आवास को सभी पत्रकार अपनी बात के लिए मौन रह कर घेराव करेंगे। 
प्रशासनिक सलाहकार शेखर श्रीवास्तव ने कहा, पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तंभ हैं, फिर भी उन्हें उनके अधिकार नहीं मिल पा रहे हैं। शासनादेश होने के बावजूद यदि लाभ नहीं मिल रहा तो यह स्पष्ट रूप से प्रशासनिक लापरवाही है। सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार अजय श्रीवास्तव ने कहा कि हम सभी पत्रकार, समिति की ओर से प्रस्तुत किए जाने वाले प्रस्ताव से सहमत हैं। पीजीआई को भेजे जाने वाले रिवॉल्विंग फंड, आयुष्मान कार्ड और वरिष्ठ पत्रकारों की पेंशन जैसी समस्याओं का शीघ्र समाधान किया जाना चाहिए।
पत्रकारों ने यह भी विश्वास जताया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से हैं, और वे पत्रकारों की समस्याओं का समाधान अवश्य करेंगे। परंतु आशंका जताई कि अधीनस्थ अधिकारी उन्हें सही जानकारी नहीं दे रहे हैं। इसलिए समिति ने 15 दिन का अल्टीमेटम देते हुए चेताया है कि समाधान न होने की स्थिति में मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने हेतु मौन जुलूस निकाला जाएगा।
बैठक में उपस्थित पत्रकारों ने एक स्वर में कहा कि अब केवल आश्वासन नहीं, ठोस निर्णय और उसके क्रियान्वयन की आवश्यकता है।
बैठक में प्रमुख रूप से उपस्थित पत्रकारों में शामिल रहे, वरिष्ठ पत्रकार उमेश मिश्रा, सुल्तान शहरयार खान, अजीत कुमार सिंह, डी.पी. शुक्ला, प्रेम शंकर अवस्थी, रवि उपाध्याय, टी.के. शर्मा, प्रदीप कुमार उपाध्याय, हरजीत सिंह बाबा, सुशील अवस्थी, बलराम गुप्ता, मनोज मिश्रा, प्रमिला चंदानी, उमाकांत बाजपेई, रामसेवक पाल, शियाराम यादव, सुनील कुमार, अख़्तर अली, अनिल कुमार सिंह, श्वेता सिंह, कंवलजीत सिंह, एस के पांडे, शिकोह आज़ाद, नीरू पाण्डेय, दीपक अवस्थी, आनंद कुमार, आज़ाद सिंह,  राजू यादव, कृष्ण मिश्रा, के.के. साहनी, अनिल कुमार वर्मा, अनिल सैनी, अनिल कुमार सैनी, लखन लाल मिश्रा, शैलेश अस्थाना, अमरीश शुक्ला, अजय वर्मा आदि।