अम्बेडकरनगर :
संविदा स्वास्थ्य कर्मियों ने 7 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदर्शन की दी चेतावनी।
।।ए के चतुर्वेदी ।।
दो टूक : उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अंतर्गत कार्यरत लगभग 1.50 लाख संविदा स्वास्थ्यकर्मियों ने सरकार के समक्ष 7 सूत्रीय मांगों को रखते हुए बड़ा आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दी है। उन्होंने साफ किया है कि यदि 5 जून 2025 तक उनकी मांगों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो प्रदेश भर के संविदा स्वास्थ्यकर्मी लखनऊ में व्यापक प्रदर्शन करेंगे और आकस्मिक सेवाओं को छोड़कर पूर्ण कार्य बहिष्कार करेंगे।
NHM संविदा संघ अम्बेडकरनगर के प्रतिनिधियों द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारी के माध्यम से उप मुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री को ज्ञापन सौंपा गया। इसमें कर्मचारियों की निम्नलिखित 7 प्रमुख मांगें उठाई गई हैं:
1. महंगाई भत्ता (DA) एवं EPF का लाभ – बढ़ती महंगाई को देखते हुए कर्मचारियों को महंगाई भत्ता एवं भविष्य निधि (EPF) का लाभ दिया जाए ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो सके।
2. अंतरजनपदीय स्थानांतरण की अनुमति – दिसंबर 2024 से लंबित म्युचुअल ट्रांसफर प्रक्रिया को पुनः चालू कर रिक्त पदों पर स्थानांतरण की अनुमति दी जाए।
3. आउटसोर्स कर्मचारियों का समायोजन – प्रदेश के 35 जिलों में कार्यरत MCTS और HMIS डाटा ऑपरेटरों को जिला स्वास्थ्य समिति में समायोजित किया जाए।
4. गृह किराया भत्ता (HRA) – अन्य कर्मचारियों की तरह NHM संविदा कर्मियों को भी HRA की सुविधा दी जाए।
5. लॉयल्टी बोनस – 7, 10, 15 एवं 20 वर्षों की सेवा पूर्ण कर चुके कर्मचारियों को सेवा निष्ठा (लॉयल्टी) बोनस प्रदान किया जाए।
6. स्वास्थ्य बीमा योजना – सभी संविदा कर्मियों एवं उनके परिवारों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जाए।
7. PMMVY प्रोत्साहन राशि का भुगतान – प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत पिछले 4 वर्षों से लंबित प्रोत्साहन राशि का शीघ्र भुगतान किया जाए।
संविधान संघ के नेताओं ने कहा कि कोविड-19 महामारी जैसे संकट में भी संविदा कर्मचारियों ने अपने प्राणों की परवाह किए बिना घर-घर जाकर सेवा दी, लेकिन आज तक उन्हें वह सम्मान और सुविधा नहीं मिल पाई, जिसके वे हकदार हैं।
NHM संघ अम्बेडकर नगर के ज़िला अध्यक्ष वंश मणि पाण्डेय के नेतृत्व में डॉ. राहुल श्रीवास्तव, डॉ. आमिर अब्बास, विवेक तिवारी, प्रीतम विक्रम, संघमित्रा बौद्ध, शोभा कुमारी, संध्या सिंह, विजय उपाध्याय, प्रवीण गुप्ता, सिद्धार्थ सिंह, रिजवान समेत कई पदाधिकारियों ने चेताया कि यदि 5 जून तक कोई समाधान नहीं निकला, तो सरकार और प्रशासन इसकी पूरी जिम्मेदारी ले।
अब देखने वाली बात होगी कि राज्य सरकार संविदा स्वास्थ्यकर्मियों की इन मांगों को कितनी गंभीरता से लेती है और कोई ठोस निर्णय करती है या नहीं।