सुल्तानपुर :
वाल्मीकि जयंती पर साहित्यकारों का हुआ संमागम।
◆वाल्मीकि विश्व के पहले लोक कवि - आद्या प्रसाद सिंह प्रदीप ।
दो टूक : कादीपुर (सुलतानपुर)। ' वाल्मीकि विश्व साहित्य के पहले लोक कवि हैं। उनका काव्य सदैव प्रेरणा देता है। वाल्मीकि अवध क्षेत्र के सांस्कृतिक गौरव हैं। ' यह बातें वरिष्ठ साहित्यकार आद्या प्रसाद सिंह प्रदीप ने कहीं । वह अखिल भारतीय साहित्य परिषद द्वारा रानेपुर गांव में वाल्मीकि जयंती पर आयोजित संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे ।
विशिष्ट अतिथि बलभद्र प्रसाद पाण्डेय ने कहा कि वाल्मीकि साहित्य का अध्ययन कर हम उस समय के समाज के बारे में जान सकते हैं। वाल्मीकि हमारे आदरणीय पूर्वज हैं।
विशिष्ट वक्ता राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि ने कहा कि वाल्मीकि भारतीय संस्कृति के पहले प्रचारक हैं। उनका काव्य मानवतावादी काव्य है। महर्षि वाल्मीकि समानता समरसता और सेवा के उत्तम उदाहरण हैं।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद के जिलाध्यक्ष मथुरा प्रसाद सिंह जटायु ने कहा कि रामकथा में उपज रहे विवाद के लिए वाल्मीकि रामायण निर्णायक भूमिका निभा सकता है। उस समय की तमाम घटनाएं यह साबित करती हैं कि वाल्मीकि अवध क्षेत्र के महर्षि थे।
अध्यक्षता स्वामी दयाल पाण्डेय, संचालन परिषद के जिला महामंत्री डॉ करूणेश प्रकाश भट्ट व आभार ज्ञापन संयोजक पवन कुमार सिंह ने किया।
इस अवसर पर सुशील शर्मा के नवीनतम उपन्यास नीलकमल और मंजुला का लोकार्पण किया गया। दो सत्रों में आयोजित समारोह में प्रथम सत्र विचार गोष्ठी व द्वितीय सत्र कवि गोष्ठी का था । कवि गोष्ठी में सभी अतिथियों ने अपनी रचनाएं सुनाईं।अपनी कविता सुनाते हुए संत तुलसीदास पीजी कालेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ करूणेश भट्ट ने कहा - दिन हो सोना तेरा रात चांदी बने , जिंदगी तेरी यूं ही संवरती रहे ।
इस अवसर पर गंगा सागर पाण्डेय, देवेश सिंह दिव्यांश , शिवेश सिंह आदि उपस्थित रहे।