मऊ :
श्रीरालीला में दशरथ प्रतिज्ञा,राम वनवास की लीला का हुआ आकर्षक मंचन।
।। देवेन्द्र कुशवाहा।।
दो टूक : मऊ जनपद के कोपागंज ब्लाक क्षेत्र के महुआर बसगितिया गांव में बाबा पवहारी जी महराज रामलीला समिति के तत्वावधान में चल रहे रामलीला में वृहस्पतिवार को राम बनवास की लीला का मंचन किया गया।वन गमन के समय पुत्र वियोग महाराज दशरथ का विलाप देख कर बैठे दर्शकों की आंखों से आशु धारा बहने लगी।
महुआर बसगितिया गांव में आयोजित हो रही राम लीला के मंचन में वृहस्पतिवार की रात अयोध्या नरेश महाराज दशरथ ने विचार किया कि राम को अयोध्या का राजा बनाया जाए। उन्होंने अपने मंत्री सुमंत को बुलाकर बड़े बेटे राम को राजा बनाए जाने के लिये राज्याभिषेक की तैयारी करने का आदेश दिया। यह सूचना जैसे ही महारानी कैकेयी की दासी मंथरा को प्राप्त हुई, मंथरा ने महारानी के कान भरना शुरू कर दिया। महारानी कैकेयी मंथरा की बातों को मानकर राजा दशरथ से अपने पुराने दो वरदान मांगे। राजा दशरथ ने महारानी कैकेयी को दोनों वरदान देने का निर्णय करते हुए कहा कि हम रघुवंशी हैं, हम अपने दिए गए वचन को निभाने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। कैकेयी ने अपने पुत्र भरत को राजतिलक और कौशल्या पुत्र राम को चौदह वर्ष का वनवास मांगा। यह सूचना जैसे ही भगवान राम को मिली, भगवान राम तुरन्त वन गमन को तैयार हो गए। जैसे ही भगवान राम के वन गमन की सूचना महराज दशरथ को हुई, वो विचलित और व्याकुल हो गए। भगवान राम, सीता और लक्ष्मण के साथ वन गमन करने को प्रस्थान किया, वैसे ही राजा दशरथ फूट-फूट कर रोने लगे और पूरी अयोध्या नगरी में शोक छा गया। भगवान राम के साथ अयोध्या के हजारों नर, नारी भी वन गमन करने को तैयार हो गए। इसके बाद भगवान राम तमसा नदी के किनारे पहुंचे। जहां उन्होंने रात्रि विश्राम किया। इस मौके पर मुख्य रूप से अशोक सिंह रितेश सिंह, शेषनाथ सिंह,घूरा सिंह, गुलशन सिंह, युवराज सिंह, धनंजय सिंह,नीरज पान्डेय, नारायण पाण्डेय, आदि लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन रामसुधार पान्डेय ने किया।