गोंडा- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अवध प्रांत प्रचारक कौशल जी ने कहा कि राष्ट्रभक्ति केवल तिरंगा फहराने या बड़े अवसरों पर भाषण देने तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह हमारे दैनिक जीवन में झलकनी चाहिए। भारत का संविधान नागरिकों को जहां मौलिक अधिकार प्रदान करता है, वही उनसे कर्तव्यों का पालन करने का भी आग्रह करता है। इसलिए संविधान का सम्मान और उसके अनुरूप आचरण ही सच्चे नागरिक होने का प्रमाण है।
बता दे की वह जिले के झंझरी के बेहड़ा चौबे मंडल में आयोजित विजयादशमी उत्सव एवं पथ संचलन कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
कौशल जी ने कहा कि जैसे पानी और बिजली की बचत, ईंधन का संयमित उपयोग, हेलमेट का नियमित उपयोग, अनुशासन, ईमानदारी और शिष्टाचार ये सभी कार्य भी राष्ट्रसेवा के ही रूप हैं। उन्होंने कहा कि देश की वास्तविक शक्ति उसके अच्छे और जिम्मेदार नागरिकों में निहित होती है। उन्होंने कहा कि संघ द्वारा चलाए जा रहे ‘पंच परिवर्तन’ अभियानों के माध्यम से प्रत्येक स्वयंसेवक अपने जीवन को राष्ट्रहित में ढाल सकता है। समाज को संगठित करने और सशक्त राष्ट्र निर्माण के लिए यह पांचों परिवर्तन आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवक पहले स्वयं आचरण करते हैं, फिर दूसरों को उसके लिए प्रेरित करते हैं।
कौशल जी ने कहा कि परिवार संस्था को मजबूत करना भी राष्ट्र निर्माण का मूल तत्व है। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रत्येक परिवार हफ्ते में कम से कम एक दिन सभी सदस्य बच्चों समेत एक साथ बैठकर लंबी बातचीत करें और एक साथ भोजन करें। इससे न केवल पारिवारिक एकता मजबूत होगी, बल्कि सामाजिक सौहार्द भी बढ़ेगा।
भारत को विश्व में श्रेष्ठता प्राप्त करने के लिए हर वर्ग, जाति और पंथ का योगदान आवश्यक है। उन्होंने आह्वान किया कि देश को सिंगल यूज़ प्लास्टिक से मुक्त करने का अभियान हर व्यक्ति को अपनाना चाहिए।
प्रांत प्रचारक ने संविधान और नियम-कानून के प्रति निष्ठा रखने की आवश्यकता दोहराई। उन्होंने कहा कि मित्रता जाति या धर्म देखकर नहीं, बल्कि मानवीय दृष्टि से होनी चाहिए। आत्मनिर्भर भारत का सपना तभी साकार होगा जब हम यथासंभव स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी चौखट के भीतर अपनी मातृभाषा का सम्मान और प्रयोग करना चाहिए।
