अम्बेडकरनगर :
थाने में फरियादियों की महफिल, थानाध्यक्ष मिसिंग।।
।।ए के चतुर्वेदी।।
दो टूक : अंबेडकरनगर जिले के महिला थाने में अगर आप अपनी फरियाद लेकर जा रहे हैं तो पहले अपनी जेब में ‘सब्र का खजाना’ और ‘अगली तारीख की डायरी’ जरूर रख लें। यहां फरियादी आते हैं, बैठते हैं, रोड पर लगी दुकान से चाय-समोसा खाते हैं और फिर अगली तारीख पक्की करके लौट जाते हैं।लोग कहते हैं, थानाध्यक्ष महोदया से मिलना टेढ़ी खीर के समान है मिल जाएं तो किस्मतवाले ही मिल पाते हैं। बाकी लोगों को ‘पेंडिंग’ पर डाल दिया जाता है।थाने के आसपास कुछ ‘चालू किस्म’ के दलाल भी मुस्तैद रहते हैं, जो फरियादियों को ‘जुगाड़’ बताने में मदद करते हैं — मतलब पैसे से काम जल्दी, वरना इंतजार से ‘मन की शांति’।
लोग कहते हैं कि थाने के बाहर लिखा होना चाहिए —
“यहां फरियाद लाओ, उम्मीद मत लगाओ।”ऑफिस के कैमरों में सब रिकॉर्ड है, पर कार्रवाई कहीं ‘कैमरे’ में ही बंद रह जाती है।
तो भैया, अगर महिला थाने जाना है तो टाइम पास और हंसी मजाक का पूरा इंतजाम करके जाइए — अगली तारीख पक्की है!