गोण्डा- इटियाथोक ब्लाक क्षेत्र अंतर्गत भीखमपुरवा गाँव के चर्चित शिक्षक मनोज मिश्रा जो की शिक्षण, खेती किसानी, बाग़वानी, साग- सब्जी व गन्ने की खेती के लिए जाने जाते हैँ। अब यह एक अन्य कार्य मे उतरे हैँ, जिसकी चर्चा आस पास क्षेत्र मे हर तरफ हो रही है। हाल मे ही श्री मिश्र ने जैसलमेर (राजस्थान) से करीब आधा दर्जन कीमती "गिरी" गायों को अपने घर पर मंगवाया है। प्रत्येक गाय की क़ीमत सवा लाख रूपये से डेढ़ लाख रूपये बता रहे है। अब इनके घर पर उपयोगी व स्वास्थ्यवर्धक घी तैयार की जा रही है जो स्थानीय घी से हटकर है और उसकी क़ीमत भी काफी अधिक है। श्री मिश्रा बताते है की सभी गायों का बीमा भी करवा दिया गया है और इनके खाने व रहने के लिए अत्याधुनिक सुबिधाओ से लैस पशु सेड भी बनवाया गया है। यहाँ पर कूलर, पंखा व लाइट आदि की समुचित व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया की प्रति गाय डेली सुबह व शाम मिलाकर 10 से 12 लीटर दूध दे रही है। उन्होंने कहा की इसके दूध व घी की खाशियत है की वह काफी अधिक स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक है।
इसका नियमित इस्तेमाल करने पर दर्जनों रोगों को ख़त्म किया जा सकता है और अनेक रोगों के जकड़ मे आने से निजात मिलती है। कहा की इसका दूध अपने यहाँ के दूध के स्वाद से बिलकुल भिन्न है जो की पूरी तरह से प्राकृतिक और मीठा व लाभदायक है। बगैर मशीनरी के मिट्टी के बर्तन मे कंडे, लकड़ी और ऊपले की आग पर गाँव की प्राचीन परम्परानुसार दही व घी बनाया जा रहा है।
शिक्षक मनोज मिश्रा ने कहा की जैविक खेती में यदि शतप्रतिशत सफल उत्पादन प्राप्त करना है तो गौपालन उसकी पहली और बड़ी कड़ी है। गौमूत्र व गोबर तो काम की चीज है ही साथ ही मट्ठा भी बहुउपयोगी होता है। गिरी गाय के घी के अनेकों फायदे हैं। इसके सही उपयोग से कई बड़ी बीमारियों को नियंत्रित व दूर किया जा सकता है। जैसे मानसिक स्वास्थ्य और याददाश्त में सुधार आदि इसमें शामिल है। यह विटामिन ए, ई, डी, के और ओमेगा-3, 6, 9 जैसे आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। इसका उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में कई उपचारों के लिए किया जाता है। यह त्वचा के लिए भी फायदेमंद होता है और त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाने में मदद करता है। गिरी गाय का घी वजन घटाने में भी मदद कर सकता है। साथ ही जोड़ों के दर्द को कम करता है। गिरी गाय ए2 दूध देती है, जो अन्य गायों की तुलना में अधिक पौष्टिक माना जाता है। गिरी गाय की कूबड़ में सूर्य केतु नाड़ी होती है, जो सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने पर दूध में सोने के लवण छोड़ती है, जिससे घी में प्राकृतिक सुनहरा रंग और पोषण शक्ति आती है। यह आसानी से पचने वाला होता है, जिससे यह सभी के लिए उपयुक्त होता है।। गोण्डा से प्रदीप पांडेय की रिपोर्ट।।