आजमगढ़ :
सेप्टीसीमिया की जंग को जीत लिया नवजात,मायूस परिवार में लौटी खुशी।
◆आशा निराशा के बीच दंपती ने डाक्टर पर किया भरोसा।।
।।सिद्धेश्वर पाण्डेय।।
दो टूक : जीवन देना और लेना तो ऊपर वाले के हाथ में होता है, लेकिन उसका माध्यम कोई और बनता है। कुछ ऐसा ही हुआ एक नवजात के साथ। जन्म के साथ जीवन से उसकी जंग शुरू हुई और सोमवार को वह जंग जीतकर अपनी मां की गोद में अपने घर अंबेडकर नगर जिले के जहांगीरगंज थाना क्षेत्र के ग्राम नेवारी दुराजपुर लौटा। घर जाने के लिए मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. विनय कुमार सिंह यादव ने एंबुलेंस की व्यवस्था उपलब्ध कराई।
दरअसल 20 दिसंबर 2024 को दिन में मनोरमा देवी ने अपने पहले बच्चे को महापंडित राहुल सांकृत्यायन जिला महिला अस्पताल में जन्म दिया तो उसका वजन लगभग आठ सौ ग्राम था। स्थिति की गंभीरता को महसूस करते हुए यहां से बीएचयू के लिए रेफर कर दिया गया। वहां पहुंचने पर बेड की अनुपलब्धता बताकर कबीर चौरा जाने की सलाह दी गई। इस बीच दंपति ने ऊपर वाले का नाम लेकर फिर जिला महिला अस्पताल लौटने का फैसला किया और उसी रात लगभग आठ बजे बच्चे को लेकर दंपति यहां पहुंच गया। यहां आकर दंपत्ति ने यही कहा कि च्अब जवन होए के होई ऊ होई, लेकिन अब आपे लोग देखाज्। इसके बाद सीएमएस के निर्देशन और गंभीर नवजात चिकित्सा कक्ष के इंचार्ज डा. शैलेश सुमन के नेतृत्व में डा. अनूप जायसवाल, सुमित कुमार, नमिता चंद्रा और पंकज यादव ने इलाज शुरू हुआ। डाक्टरों के सामने चुनौती उस समय उत्पन्न हो गई जब बच्चा सेप्टीसीमिया से ग्रसित होकर आठ सौ से पांच सौ ग्राम का हो गया। फिर भी बच्चे की मां ने डाक्टरों पर भरोसा नहीं छोड़ा। नतीजा यह हुआ कि 90 दिन में वजन 11 सौ ग्राम हो गया और इधर दो माह से वह मां का दूध पीने लगा। मां के अमृत रूपी दूध के बाद वजन बढऩे का क्रम ऐसा शुरू हुआ कि 2.440 किलो का हो गया। सोमवार को एक बार फिर बच्चे का परीक्षण करने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया। साथ ही घर जाने के लिए अस्पताल प्रशासन की ओर से एंबुलेंस उपलब्ध कराई गई। अभी दो महीने पहले तक उदास मनोरमा और कुंवर आलोक के चेहरे पर लौटते समय मुस्कान दिखी और उन्होंने अस्पताल प्रशासन को धन्यवाद दिया।
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. विनय कुमार सिंह यादव का कहना है कि मैंने कुछ नहीं किया। सब ऊपर वाले के हाथ में है। महिला और उसके पति के भरोसे ने हमारी टीम को संबल प्रदान किया और ऊपर वाले ने डाक्टरों की टीम में आत्मविश्वास पैदा किया। हमारी ओर से डाक्टरों की टीम को शुभकामना और बच्चे के स्वस्थ और दीर्घायु होने की कामना है। सबसे ज्यादा तो उस मां को श्रेय देता हूं, जिसने हमारी टीम पर भरोसा किया।