दो टूक, गोण्डा- जिले के इटियाथोक ब्लाक क्षेत्र के चर्चित प्रा0वि0 भीखमपुरवा के प्रधानाध्यापक मनोज मिश्र की मेहनत एक बार फिर रंग लाई है। इनके प्रयास से यहां की चार छात्राओ का नाम इण्डिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स मे दर्ज है। अब पांचवी छात्रा अनामिका मिश्रा का नाम भी इसमें दर्ज होने जा रहा है। इस विद्यालय के छः वर्षीय कक्षा एक की छात्रा अनामिका जो की गूगल गर्ल अंशिका मिश्रा की सबसे छोटी बहन है। इस बिटिया ने 8 मिनट में मैक्सिमम पुश अप ए फीमेल किट का खिताब अपने नाम किया है। गोण्डा की इस बेटी ने 240 पुश अप लगाकर अब अपना नाम इण्डिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल कराने का दावा पेश कर दिया है। विद्यालय के प्रधानाध्यापक/ बिटिया के पिता मनोज मिश्र ने बताया कि अनामिका का पुश अप वीडियो 250 पुश अप का समस्त वैद्य दस्तावेजों के साथ इण्डिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के प्रधान कार्यालय फरीदाबाद हरियाणा भेजा गया था। वहाँ से 19 सितंबर को ईमेल द्वारा रिकार्ड दर्ज करने की सहमति देते हुए बधाई दी गयी है। हालांकि बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की टीम ने पुश अप काउंटिंग 240 माना है।
गौरतलब है की विभिन्न क्षेत्रों में अलग अलग मेधा का परिचय देते हुए विद्यालय से गूगल गर्ल अंशिका मिश्रा के साथ साथ सुप्रिया वर्मा, काजल व बबली पूर्व में अपना नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज करा चुकी है और अब विद्यालय से एक और छात्रा अनामिका का नाम दर्ज होने जा रहा है। छात्रा अनामिका के पिता मनोज मिश्र ने बताया कि बिटिया की ललक ओलम्पिक खेलों में भाग लेने की है और उसी की नियमित तैयारी हमारी निगरानी में कर रही है। अंशिका को वह अपना आदर्श मानती है और उसी से इसको प्रेरणा मिली है।
"खान पान व दिनचर्या है बेहद संयमित"
बिटिया के पिता मनोज मिश्र ने बताया की अनामिका दो साल से इसकी तैयारी कर रही है और तभी से वह अपने खान पान को लेकर बेहद सजग है। वह बाहर की बाजार वाली कोई भी पैकेट वाली वस्तु, तली भुनी चीजें, चीनी, चावल, मिठाई, आलू आदि से काफी दूर है। अधिकांशतः जैविक सब्जियों व फलों तथा सूखे मेवे पर वह निर्भर है और महुआ व दूध भी इसकी डाइट में शामिल है। यह बिटिया बगैर रुके 10 किमी दौड़ लगाने मे सक्षम है। यह करेले का जूस नियमित पीती है और तुलसी व हल्दी का काढ़ा इस्तेमाल करती है। बताया की बिटिया का वजन महज 17 किग्रा है जो 40 किग्रा का वजन उठाने मे सक्षम है।
"मेडल की फोटो ने बदला अनामिका का जीवन"
बड़ी बहन अंशिका के मेडल्स के फोटो को नन्ही आयु से ही अनामिका निहारती रहती थी और बार बार अपने पिता से कहती की हमें भी ऐसे मेडल चाहिए। उसके पिता ने बताया की सोशल साइट्स से ओलम्पिक के प्रति अनामिका के मन में जिज्ञासा उत्पन्न हुई और फिर उसने ठाना कि चीन को पीछे करके देश के लिए गोल्ड मेडल हासिल करना है।। गोण्डा से प्रदीप पांडेय की ख़ास रिपोर्ट।।