मंगलवार, 6 मई 2025

अम्बेडकरनगर :पत्रकार बनाम सीएचसी अधीक्षकमामले में आया नया मोड।||Ambedkar Nagar: Journalist vs CHC Superintendent New twist in the case.||

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अम्बेडकरनगर :
पत्रकार बनाम सीएचसी अधीक्षक
मामले में आया नया मोड।
।। ए के चतुर्वेदी।। 
दो टूक : अंबेडकरनगर जनपद के जलालपुर समुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में सड़क हादसे में घायल परिजनों के इलाज में लापरवाही का आरोप लगाने पर सवाल पूछने पहुंचे पत्रकारों के खिलाफ दर्ज एफआईआर मामले में उच्च न्यायालय लखनऊ ने अहम आदेश जारी किया है। पत्रकारों पर दर्ज मुकदमे की वैधता को चुनौती देते हुए दाखिल रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने सीएससी अधीक्षक डॉ जयप्रकाश को नोटिस जारी कर उत्तर प्रदेश सरकार को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। माननीय न्यायालय द्वारा यह भी निर्देश दिया गया है कि   ज़बतक मामला विचाराधीन है, तब तक पुलिस गिरफ्तारी में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करे। यह मामला चार सप्ताह बाद पुनः सूचीबद्ध किया जाएगा।प्राप्त जानकारी के अनुसार, बीते दिनों नगपुर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक सड़क दुर्घटना में घायल मरीज के इलाज को लेकर लापरवाही के आरोपों पर पत्रकारों ने डॉ. दानिश से सवाल पूछने का प्रयास किया था। इस पर नाराज होकर डॉ. दानिश ने पत्रकारों से अभद्रता की और इमरजेंसी कक्ष के बाहर खड़े पत्रकारों का वीडियो बनाकर स्थानीय कोतवाली में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। बाद में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक स्वयं कोतवाली पहुंचे और पत्रकारों की गिरफ्तारी का दबाव बनाया।
इस कार्रवाई को चुनौती देते हुए पत्रकार प्रेम सागर विश्वकर्मा व अन्य ने उच्च न्यायालय, लखनऊ में याचिका दाखिल की थी।
 मामले के पक्षकार एडवोकेट ज्योति त्रिपाठी की ओर से पेश हुए एडवोकेट विशाल त्रिपाठी ने बताया कि याचिका (अपराध विविध रिट संख्या 3606/2025) पर सुनवाई करते हुए न्यायालय संख्या-10 के न्यायमूर्ति विवेक चौधरी एवं न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं पर लगाए गए आरोपों में अधिकतम सजा सात वर्ष से कम है, अतः गिरफ्तारी के लिए कानूनन उचित प्रक्रिया का पालन आवश्यक है।
एडवोकेट विशाल त्रिपाठी के अनुसार न्यायालय ने कहा कि इस प्रकरण की जांच करते समय पुलिस को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 35(3) और सुप्रीम कोर्ट द्वारा अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य (2014) में दिए गए दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करना होगा।