गुरुवार, 11 दिसंबर 2025

लखनऊ :SIR चुनाव आयोग की प्रक्रिया है समीक्षा मुख्यमंत्री क्यों कर रहे : अजय राय।||Lucknow:"SIR, reviewing the Election Commission's process is not the Chief Minister's job," says Ajay Rai.||

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लखनऊ :
SIR चुनाव आयोग की प्रक्रिया है समीक्षा मुख्यमंत्री क्यों कर रहे : अजय राय।
चुनाव आयोग पूरी तरीके से भाजपा का एजेंसी बन चुका है : कांग्रेस।।
दो टूक : सीएम की काशी यात्रा पर प्रदेश अध्यक्ष अजय राय का कड़ा प्रहार — “SIR चुनाव आयोग की प्रक्रिया है, समीक्षा सीएम क्यों? क्या चुनाव आयोग भाजपा का एजेंट बन गया है? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरुवार को आजमगढ़, जौनपुर व वाराणसी में SIR (Systematic Investigation & Review) की मंडल स्तरीय समीक्षा करने के कार्यक्रम पर प्रदेश अध्यक्ष अजय राय का कड़ा प्रहार उन्होंने कहा कि “SIR पूरी तरह चुनाव आयोग की प्रक्रिया है, इसकी समीक्षा चुनाव आयोग करता है, मुख्यमंत्री नहीं।

प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा की SIR चुनाव आयोग की प्रक्रिया है समीक्षा मुख्यमंत्री क्यों? यही साबित होता है कि चुनाव आयोग पूरी तरीके से भाजपा का एजेंसी बन चुका है मुख्यमंत्री द्वारा SIR की समीक्षा करना साफ दर्शाता है कि चुनाव आयोग अब भाजपा सरकार के इशारों पर काम कर रहा है चुनाव आयोग जहां निष्पक्षता का दावा करता है, वहीं मुख्यमंत्री द्वारा निर्वाचन प्रक्रिया की समीक्षा करना लोकतंत्र पर सीधा आघात है। इससे यह साफ होता है कि प्रदेश में चुनाव प्रबंधन नहीं, बल्कि सत्ता प्रबंधन चल रहा है। आयोग की चुप्पी बताती है कि वह भाजपा के लिए फील्ड एजेंट की भूमिका निभा रहा है।SIR के नाम पर प्रदेश में भय का वातावरण बनाया जा रहा है। कर्मचारी मर रहे हैं, लोग प्रताड़ित हो रहे हैं, और अब तो मुख्यमंत्री खुद ‘चुनाव आयोग’ की कुर्सी पर बैठकर समीक्षा करने लगे।

“यह कैसी निष्पक्षता है? क्या अब आयोग मुख्यमंत्री के अधीन काम करेगा? कांग्रेस इस मुद्दे को पूरे प्रदेश में उठाएगी और जनता को बताएगी कि SIR की आड़ में लोकतंत्र की हत्या की कोशिश की जा रही है। मोदी–ज्ञानेश की मिलीभगत से SIR आम जनता की समस्या बन गया है SIR को लागू करने के पीछे सरकार और चुनाव आयोग की की सांठगांठ साफ दिखाई दे रही है प्रधानमंत्री मोदी और चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की आपसी समझ और राजनीतिक सांठगांठ ने SIR को प्रशासनिक आतंक का औजार बना दिया है। चुनाव आयोग की निष्पक्षता खतरे में डाल दी गई है।आयोग केवल सरकार की सुविधा देखकर फैसले ले रहा है, जनता और कर्मचारियों की पीड़ा से उसका कोई लेना-देना नहीं मुख्यमंत्री जी समीक्षा छोड़िए, पहले उन परिवारों का दर्द सुनिए जो बीएलओ मर गए SIR के दबाव में राज्य के कई कर्मचारी, बीएलओ, स्कूल शिक्षकों और सरकारी स्टाफ की मौत हो गई। पूरा परिवार बर्बाद हो गया। क्या इन परिवारों का दुख सुनना मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी नहीं? लगातार हो रही मौतों के बावजूद मुख्यमंत्री मौन हैं, और अब वे समीक्षा बैठकों में व्यस्त हैं।

प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा की योगी जी, SIR नही पहले उन घरों में जाइए जहाँ आपके प्रशासन के दबाव में मौतें हुई है उन परिवारों से मिलिए जिनके बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया।यह संवेदनहीनता नहीं तो क्या है? हम पूछते है की चुनाव आयोग अगर वाकई स्वतंत्र है, तो उसे तुरंत स्पष्ट करना चाहिए कि मुख्यमंत्री को SIR समीक्षा का अधिकार किसने दिया।उत्तर प्रदेश में लोकतंत्र को बचाने की जिम्मेदारी अब जनता और विपक्ष दोनों की है, क्योंकि सरकार और आयोग दोनों अपनी निष्पक्षता त्याग चुके हैं।मोदी–ज्ञानेश की मिलीभगत से SIR आम जनता की समस्या बन गया है।